ज्ञानमयी

रुकना कब जाने मीना आगे ही आगे बढ़ना ही होगा रुकना कब जाने मीना तुमको कदर नहीं तुमको खबर नहीं तुमको सबर नहीं तो ये चली मीना, बही मीना सही मीना कब कहाँ रही मीना न यहाँ रही न वहाँ रही पारे की तरह पारदर्शी मीना फिर भी न जाने मीना हैरान है मीना क्यों न समझ पाए ज़माना कि क्या है मीना? वेदमयी सत्यमयी प्रेममयी मीना कर्म दीवानी मीना प्रभु की कहानी मीना यही सत्य है !! यहीं सत्य है !! प्रणाम मीना ऊँ

मेरा वादा

तेरे नजदीक आकर तुझसे मिलकर ही तुझे देख लिया अब सबको दिखाना है बताना है सुनाना है यही मेरा वादा है यही मेरा वादा है तुझसे ओ हमनवा ओ मेरे हमनवा मेरे मन मेरे कृष्ण स्नेहा लाग्यो मोरो श्यामसुन्दर सों, स्नेहा लाग्यो स्नेहा लाग्यो मोरा श्यामसुन्दर सों श्यामसुन्दर सों यही सत्य है !! यहीं सत्य है !! प्रणाम मीना ऊँ

खुदा जाने

क्या किसी को भी प्यार करने से प्यार हो जाता है क्या किसी को भी प्यार करने से प्यार हो जाता है नहीं तो… फिर प्यार कैसे हो जाता है खुदा जाने खुदा जाने यही सत्य है यहीं सत्य है

प्रीत पुरानी

बीति ताहि बिसार दे आगे की सुधि लेइ मुक्की फसलाँ दी राखी ते आई बैसाखी मुझे भी आज ऐसा ही लग रहा है जैसे नया मन नया तन नए दिन नयी रात जो बीत गया उसकी अब करूँ क्या बात जि़न्दगी की यही सौगात जो न चल सके साथ थामकर मेरा हाथ प्रेम का क्या होता है स्वाद जान न पाएगी उनकी जात पर अब मन न उदास हो जैसे कोई आसपास हो प्रभु मिलन की आस हो बाकी एक ही प्यास हो कृष्ण गोविन्द हरि का ही प्राणों में वास हो सारा जग सुवास ही सुवास हो मन ही मन प्रकाश हो मोहन की मनमानी मीना की कहानी जिसने जानी उसने मानी प्रभु की वाणी गीता सुहानी यही मीना की प्रीत पुरानी प्रीत पुरानी सदियों पुरानी सृष्टि ने जानी मुनियों ने बखानी कैसे जाने प्राणी प्रीत पुरानी रीत पुरानी प्रेम कहानी जो सकल ब्रह्माण्ड समानी कण-कण कहे यही कहानी…

शरारतें

कर्म व प्रेम-लीला की क्यों कभी-कभी बहुत शरारतें हो जाती हैं शायद यही है कृष्ण-लीला जानती हूँ कभी-कभी कर्म बनाने ही पड़ते हैं बनाने ही पड़ते हैं बहुत ज़रूरी हैं वरना कैसे टिकूँगी धरती पर तेरा कर्म करने को? कुछ कर्म बनाती हूँ जानबूझ कर तुम्हीं तो बनवाते हो कर्म क्योंकि कर्मों का हिसाब-किताब तो इसी धरती पर पूरा करना होता है कर्मों की गुत्थी खोलने को धरती चाहिए यह संसार चाहिए तो तुम मुझसे कर्म करा ही लेते हो इस बहाने धरती पर रहूँगी धरती पर रहूँगी और जानते हो कि कर्म तो तुम्हारा ही करना होगा इसके अलावा मेरा और कोई कर्म है ही नहीं नहीं है न, बिल्कुल खाली हूँ थोड़ा कर्म बनाया हाथ के हाथ वह भी औरों के कुछ कर्म धुलवाने को धुलवाने को धोने को भुगतवाने को हो जाऊँ फिर हल्की-हल्की महकी महकी बहकी बहकी चहकी चहकी तेरी सोन चिरैया ओ, कन्हैया बंसी बजैया…

जागो भारत

तुम मेरे प्राण ओ भारत महान जानेगा जहान पर तुम सोए ऐसे खोए ऐसे जगाऊँ कैसे सोए को जगाना आसान है पर जो सोए का बहाना किए है उसे जगाने की शक्ति तो बस प्रभु ही दे पाते हैं उसे जगाने की शक्ति अवश्य ही देंगे मेरे कृष्ण जय श्रीकृष्ण यही सत्य है यहीं सत्य है प्रणाम मीना ऊँ

क्या कहूँ

समय भाग रहा है मन जान रहा है अन्दर कुछ भान रहा है क्या नया सवेरा पास है यही तो जीने की आस है क्या यह मेरी श्वांस है प्रभु तो साथ है अब न बाकी प्यास है अब न बाकी प्यास है सब सुहास है प्रकाश है नए युग का शिलान्यास है खुद सत्य रूप हो जाओ तो सब या तो सत्य दिखाई देता है या लगता सब असत्य है बहुत प्यारा लगता है सफर जब तुम साथ होते हो मनमोहन जब अलग दिखाई देते हो तो भक्ति ही भक्ति सुझाई देती है प्रतिशत तो बचता ही नहीं सब पूर्णरूपेण ही होता है जप तप कर्म देखना दिखाना भक्ति ही भक्ति शायद तुम्हारा यही तरीका है शक्ति देने का शक्ति देने का तुम्हारा यही तरीका है मनमोहन भक्ति दे देते हो दूर खड़े हो जाते हो दृष्टा बनकर दृष्टा बनकर ताकि भक्ति में आँसू बहा-बहाकर तुम्हें रिझाऊँ तुम्हें रिझाऊँ…

एक बात

जय श्रीकृष्ण आज तुम आए हो भाग जगाए हो यही बताए हो कर्म न करने में कभी भी न हो आसक्ति तेरी यदि प्रभु कर्म न करें तो कैसे चले सृष्टि का कारोबार यही है जीवन का सार हर तरफ ज़ुदाई ही ज़ुदाई है प्रभु से ज़ुदाई ही तो खुदाई है और प्रभु से मिलन ही तो खुदाई से ज़ुदाई है यही सत्य है !! यहीं सत्य है !! प्रणाम मीना ऊँ

भीगा मन

मन भीगा-भीगा सा हो गया है मन खाली-खाली सा हो गया है मन अब कुछ भी याद रखना नहीं चाहता मन के साथ यह करिश्मा हो गया है क्या तू भी मेरा हो गया है हाँ…हाँ…हाँ… यही है सत्य जली इक श़मा अपना ही दिल जलाने को ताकि दुनिया को रोशनी दे सके शामे गम की कसम महफिल में अँधेरा होगा हमारे जाने के बाद बहुत दिए जलाओगे रोशनी के लिए यही सत्य है यहीं सत्य है प्रणाम मीना ऊँ

मीना मिट्टी का एक कण

मिट्टी का एक कण खाक का इक ज़र्रा मीना रास्ता भी यहीं, मंजिल भी यहीं सारी तालाशें खत्म हो गईं रास्ता ही मंजिल बन गया मंजिल ही रास्ता बन गई मीना न कहीं गई, न आई न आई न गई यहीं की थी यहीं रही और यहीं रह गई मिट्टी मिट्टी में मिल गई कोई कर्मयोगी कोई प्रेमयोगी कोई सत्ययोगी फिर छान लेगा इस मिट्टी को और ढूँढ़ ही लेगा मीना को मीना के होने को उसके जीने को, उसके मरने को उसके तुम में समाने को खाक के खाक हो जाने को तुम्हीं तुम तो हो सब जगह सब तरफ ओ मेरे मन ओ मेरे मन मोहना यही सत्य है !! यहीं सत्य है !! प्रणाम मीना ऊँ