न प्रशंसा करो, न आलोचना, न ही तुलना करोन प्रेम करो, न ही अपनाओ, न ही नकारोबस स्वीकारो, एक प्रकाश का राही हूँ नि:स्वार्थ सरल प्रेम का सागर लिए स्व अनुभूत प्रकाश की गागर लिए प्रणाम कर्म को अर्पित, सत्य यज्ञ की आहुति होने को समर्पितएक प्रकाश का राही हूँ, बस स्वीकारो भान नहीं योग्य हूँ या अयोग्य, समर्थ हूँ या असमर्थ दृढ़ प्रतिज्ञ हूँ एक निश्चय हूँ यही एक राह है जीवन की प्रणाम में साथ बढ़ने को अग्रसर बहने को तत्पर होने को संयुक्त सत् चित् आनन्द के स्रोत में, करने को प्रणाम प्रकाश का विस्तार यही है प्राकृतिक अस्तित्व मेरा यही है रूपांतरण का सार बस स्वीकारो एक प्रकाश का राही हूँहूँ अर्पित समय की पुकार को सत्य की गुहार कोकरने को सर्वस्व न्योछावर ताकि दे सकूँ यह प्रमाण काल को जो यहीं परिष्कृत हुआ, इसी धरा पर पूर्ण समर्पित हुआ नहीं रहे कज़र् इस जन्म का…