लक्ष्मण रेखा सुरक्षा कवच

लक्ष्मण रेखा सुरक्षा कवच

हे मानव !
आज के युग में पुराने संदर्भों व प्रतीकों को नए परिवेश में समझ कर कैसे उनके सत्य से लाभ उठाया जा सकता है यह जानना अत्यंत आवश्यक है। क्योंकि सभी प्राचीन ग्रंथों के कथ्य व तथ्य मानव के मनोविज्ञान और उसकी शारीरिक, मानसिक व आत्मिक संरचना की प्रक्रियाओं के ज्ञान-विज्ञान को जानकर ही लिपिबद्ध किए गए हैं। यही भारत की महानतम वैदिक संस्कृति का मूल बिंदु है।

जिसे आजकल टुकड़ों में भिन्न-भिन्न प्रकार की प्राकृतिक व वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धतियों व अनेकों इन्हीं से मिलती-जुलती पद्धतियों द्वारा समझाने का प्रयास किया जा रहा है। ध्यान की अनेकों विधियाँ व हीलिंग कोर्सों का इतना अधिक प्रचलन इसी सत्य की पुष्टि का प्रमाण है। लेकिन शुद्ध ज्ञान कल्याणकारी होता है वरना सीताहरण की तरह दुष्प्रवृत्तियाँ मानसिक संतुलन हर भी सकती हैं।

त्रेता युग में श्रीराम की जीवनी में एक पल ऐसा आया, बनवास के समय जब सीता को अकेला छोड़ कर श्रीराम की पुकार पर जाने से पहले लक्ष्मण जी ने सीता माता के आगे एक रेखा खींचकर निर्देश दिया कि इसका उल्लंघन किसी भी परिस्थिति में कदापि न करना उल्लंघन करने पर अनिष्ट की आशंका है। रेखा खींचकर लक्ष्मण जी किसी भी प्रकार के अनर्थ की चिंता से मुक्त हो अपना कर्त्तव्य निभाने चले गए।

मानसिक तनाव मुक्ति के इस सुंदर प्रतीक का यदि हम ध्यान प्रक्रिया में आज भी प्रयोग कर लें तो मानव तनावरहित हो सकता है तथा अनचाही व अवांछनीय स्थितियों के भय, उसकी सोच व चिंता से बचा जा सकता है।

लक्ष्मण रेखा ध्यान की विधि-
– पूर्णतया आराम की त्रिकोणात्मक मुद्रा में बैठें।
– आती जाती श्वांस पर ध्यान धरें बाहर चारों ओर के सौंदर्य व पूर्णता को अंदर तथा अपूर्णता व विकारों को बाहर निकलते हुए अनुभव करें।
– अपने पूर्ण अस्तित्व को प्रकाश से भरें।
– अब अपने चारों ओर दो फुट की दूरी पर एक काल्पनिक रेखा गोलाई से खींच लें। अपने को पूर्णतया आश्वस्त करें कि कुछ भी नकारात्मक निगेटिव कष्टदायी या दुखदायी व्यक्ति या घटना इस रेखा को पार कर आपको छू तक नहीं सकती। आप इस लक्ष्मण रेखा में पूर्णतया सुरक्षित हैं। इस भाव को बारम्बार प्रभु के नाम के साथ सिमरने से भयमुक्त होने में बहुत सहायता मिलती है।

यह लक्ष्मण कवच रेखा जब भी मानसिक रूप से आतंकित आशंकित उत्पीड़ित या भयभीत हों ध्यान में जाकर बना सकते हैं या सुबह एक बार ध्यान कर लेने पर दिनभर आनन्दयुक्त रहा जा सकता है चैन की अनुभूति के साथ।

  • प्रणाम मीना ऊँ

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