मैं कौन हूँ, कुछ भी नहीं

सारी सृष्टि प्रभु का आँगन,
खेलूँ वही जो वो खिलवाए
जब मैं था तो हरि नहीं
अब तो हरि ही हरि हैं
मैं कहाँ वो ही वो है सर्वत्र
मेरी इच्छा उसकी इच्छा
उसकी इच्छा मेरी इच्छा
प्रभु कृपा महान
एक ऐसा पोला बाँस बना दिया

सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड से सम्बन्ध स्थापन कराए
बाँटूं जो वो बँटवाए जहाँ बँटवाए,
जिसमें सभी देवी-देवता अवतार
आवागमन आना-जाना रखते हैं
समय की आवश्यकतानुसार या
लेने वाला जो सामने माध्यम है
उसी के अनुसार ज्ञान देवें प्रभु
अब तो मेरा कुछ भी नहीं
जो बुलवाता है बोल देती हूँ
जो दिखाता है
देखती हूँ
सामने वाले को जो चाहिए
ये वो ही जानता है
मेरे द्वारा वो ही भेजता है।
मेरा पूरा का पूरा शरीर
उसी परम की सेवा में लगा लिया
प्रभु ने की कृृपा महान
शरीर मेरा रिमोट नियंत्रण प्रभु का।
सामने वाले की ट्यूनिंग, समस्वरित है
तो पकड़ ही लेगा
सही तरंगें,

लहरियाँ
जो करे संतुलन

बड़े ब्रह्माण्ड और
छोटे ब्रह्माण्ड, मानव के बीच
मिले सुर मेरा
तुम्हारा तो
सुर बने हमारा
यही सत्य है
!!

  • प्रणाम मीना ऊँ

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