प्रणाम धरा पर प्रकाश स्रोत है
सत्य का आवाहन है
कर्म का प्रोत्साहन है
प्रेम का वाहन है
सरस्वती का वचन है
लक्ष्मी का वंदन है
पूर्णता का सृजन है
अपूर्णता का विसर्जन है
प्रणाम धरा पर प्रकाश स्रोत है
मानव उत्कृष्टता का उदाहरण है
मानव आनन्द का कारण है
व्याधियों का निवारण है
मुक्तता का पर्यावरण है
प्रणाम धरा पर प्रकाश स्रोत है
देवी-देवताओं का अवतरण है
मानव रूप में रूपान्तरण है
इसी देह से पूर्ण समर्पण है
आत्मवान महापुरुषों का तर्पण है
प्रणाम धरा पर प्रकाश स्रोत है
मानवता के गौरव की है पुष्टि
समरूप प्रेम से परिपूर्ण है दृष्टि
वसुधैव कुटुम्बकम् है सफल सृष्टि
सहज सरल धर्म की हो कल्याण वृष्टि
प्रणाम धरा पर प्रकाश स्रोत है
जीवन को जीवंत करने की कला है
उत्तरोत्तर मानव विकास की श्रृंखला है
चार दल से सहस्रदल यात्रा की कुंजी है
प्रकाश सत्य कर्म प्रेम प्रीति की पूंजी है
प्रणाम धरा पर प्रकाश स्रोत है
अवतार के अवतरण की निष्ठा है
मानव के अवतार होने की चेष्टा है
सरलता व नम्रता की सहजता है
समर्पण की शोभा की शाश्वतता है
प्रणाम धरा पर प्रकाश स्रोत है
पूर्ण ज्ञान की परिणति है
प्रकृति से योग की नियति है
प्रेम की सत्य अनुभूति है
प्रतिपल नव आनन्द की प्रतीति है
प्रणाम धरा पर प्रकाश स्रोत है
चेतना से युक्त चैतन्यता का सुमार्ग है
कला दीक्षा सम्पन्न कृतित्व का आनन्द है
अनजाने कर्म चक्र खुलने का प्रबन्ध है
मानव का सीधा ब्रह्माण्ड से सम्बन्ध है
प्रणाम धरा पर प्रकाश स्रोत है
ऊर्जा का परम ऊर्जा से मेल है
आत्मा से आत्मा का संवाद है
प्रतिपल उत्थान का उन्माद है
गीता वचन है ऊँ उच्चार है
प्रणाम धरा पर प्रकाश स्रोत है
दर्शन से समस्त पाप धुले
वचन से कर्म बंधन खुले
स्पर्श से हो मन निर्मल
समर्पण से मिले सत्य विमल
प्रणाम धरा पर प्रकाश स्रोत है
होती कृपा अपार जो प्रणाम मिले
हो स्थिति प्रज्ञ कर्मठ जो साथ चले
मन वचन कर्म एक हों यह तप करे
हो ऊँ पूर्ण मानव यही पुरुषार्थ करे
प्रणाम धरा पर प्रकाश स्रोत है
- प्रणाम मीना ऊँ