जो बाँटता फिरता है जमाने को उजाले
उसके दामन में लेकिन
अँधेरा भी बहुत है
क्या कमी की मेरे कृष्ण ने
विश्व को उजागर करने में
सत्य का आधार देने में
अनन्त प्रकाश से प्रकाशित करने में
मगर किसने देखा किसने जाना
उनके दामन
उनके मन का अँधेरा
घना अँधेरा
मैं जानूँ
मैं समझूँ
मैं भोगूँ
उस दिल का घना अँधेरा
जो लाए सवेरा
यही सत्य है
यहीं सत्य है
- प्रणाम मीना ऊँ