ज्योति

ज्योति

प्रणाम जीवन के जिस परम संदेश के प्रसार को अवतरित हुआ है वो यह है कि मानव जीवन मुक्त होने के लिए ही बनाया गया है। प्रणाम वह सत्य बताता है उन सम्भावनाओं को उजागर करता है जिसमें मानव जीवन केवल रहने के लिए ही नहीं बना है। हमारा अस्तित्व बना ही है उत्कर्ष के उस बिन्दु पर पहुंचने के लिए जो कि सारी सीमाओं से मुक्त है। एक ऐसा विस्फोटक बिन्दु जहाँ से मानव की चेतना ब्रह्माण्डीय चेतना में विलय होकर एकत्व को प्राप्त होती है।
मानव शरीर में निवास करती दिव्यता का, पूर्ण चैतन्यता प्राप्त करने के लिए, निरंतर सतत संघर्ष इस निर्णायक मुक्ति के लिए चलता रहता है। सभी कष्ट तभी तक हैं जब तक मानव इस बिन्दु तक नहीं पहुँचता। इस बिन्दु तक जीवित रहकर इसी जीवन में भी पहुंचा जा सकता है, इसके लिए मृत्यु या चिरन्तन समाधि की प्रतीक्षा क्यों।
इस पूजास्थली, इस बिन्दु वाले मंच पर पहुंच कर मानव ध्यानपूर्वक व पूरी सहजता से जीवन यात्रा की प्रत्येक क्रिया व कर्म को करता है। उसकी सारी मानसिक व शारीरिक क्षमताएं, सम्पूर्ण अस्तित्व समर्पित होता है प्रेम व प्रकाश के प्रसार के लिए। बिना कोई ऊर्जा हनन हुए क्योंकि उसको ऊर्जा का निरन्तर प्रवाह प्राप्त होता रहता है, परम स्रोत से।
वो परम शक्ति का संवाहक-माध्यम बनता है। परम शक्ति जो निरंतर उन्नत होती है सौंदर्य पूर्णता व सत्य की ओर सत्यम् शिवम् सुन्दरम्! ऐसे मुक्तात्मा मानव, परमात्मा की भावरूप छवि का मूर्तिमान रूप हो जाते हैं जो कि इस सत्य का प्रत्यक्ष प्रमाण होते हैं कि यह सब इसी मानव शरीर में सम्भव है- संभवामि युगे-युगे। एक साधारण मानव की तरह जीवन की यात्रा व्यतीत करते हुए वो प्रेम ज्योति की शरीरी प्रतिमूर्ति हो जाते हैं।
यही सत्य है यहीं सत्य है

  • प्रणाम मीना ऊँ

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