ज्ञान भी एक रास्ता है
सत्य को पाने का
सत्य क्या है-
सत् चित् आनन्द, सच्चिदानन्द
सच्चिदानन्द क्या है-
ऐसा सत्य पूरित चित्त जिसमें
आनन्द ही आनन्द है
वो आनन्द जो
ना खुशी है न ग़म,
ना सुख ना दुख
ना अहम् ना त्वम्
एक आलौकिक अनुभूति सब कुछ जान समझ लेने की, न कोई प्रश्न ना जिज्ञासा ना भागदौड न उत्सुकता, बस परा चेतना से जुड़कर नित नव नूतन आनन्दमयी स्थिति, सदा उगने की, सदा खिलने की आत्मानुभूति।
ज्ञान बहुत ही कठिन मार्ग है जैसे-जैसे ज्ञान बढ़ता जाता है, रोज नई-नई शाखाएं फूटती रहती हैं और मानव उन्हीं की गुत्थियां सुलझाता रहता है। कर्म बना-बना भोगता है भागदौड में रमता है, अहम् के नित नए सोपान बना लेता है।
ज्ञान साधन है, सर्वोत्तम साधन है- सच्चिदानन्द को जानकर वैसे ही होने का। यदि यह न हो पाया तो ज्ञान सिर्फ ज्ञान ही रह जायेगा जो कभी भी उच्चतम सत्य की वास्तविकता को नहीं बता पाएगा।
ज्ञान तभी सार्थक है जब ज्ञान के द्वारा उस सत्य का फल चख कर उसका स्वाद दूसरों को बता पाएं और कर्म
तभी सार्थक है जब कर्म द्वारा दूसरों को भी उसका महत्व
बता पाएं, उदाहरण बन कर…
ज्ञान से कर्म से अपने लिए
मोक्ष पाकर जाना स्वार्थ होगा
यही है मनु का सत्य
ज्ञान व कर्म की पराकाष्ठा का सत्य
जय सत्येश्वर !!
- प्रणाम मीना ऊँ