जागो आत्मा की आवाज़ सुनो

जागो उठो भारतीयों ! अपनी आत्मा की आवाज़ सुनो!
कर्म को तत्पर होओ। विविधता की एकता जानो !


एक तुच्छ सी सेविका मानवता की एक अदना सी बन्दी, ईश्वर अल्लाह की, सभी भारतीयों से कुछ मन की बातें कहती है। यह एक सत्य है और इसे झुठलाया नहीं जा सकता कि ”भारत में रहने वाला हर बन्दा पहले भारतवासी है बाद में कुछ और।” भारत की हर विरासत हर नियामत उसकी अपनी है।

कश्मीर की सुन्दर दिव्य घाटियाँ, बर्फीली रुहानी चोटियाँ कल कल करते बहते झरनों का संगीत और झीलों का विशाल हृदय। वृहद हिमालय ऋषियों मुनियों की तपस्या की महान स्थली। उत्तर भारत के लहलहाते खेत दिव्य नदियों की धाराएँ सामाजिक जीवन का सौन्दर्य महामानवों के उद्भव, विद्या ज्ञान-विज्ञान की पोषक स्थली। दिव्यता अवतरण की भूमि।

बिहार की रसभरी लोक परम्पराएँ नीति ज्ञान व वाकचातुर्य। असम व बंगाल की मातृशक्ति में आस्था मानव यंत्र के ज्ञान का तंत्र विज्ञान व लालित्य कलाओं का विकास। दक्षिण भारत का दिव्य वास्तु स्थापत्य, संगीत नाट्य संस्कृति और मन्दिरों की दिव्य उर्जायुक्त निर्माण कला।

महाराष्ट्र के शिवाजी की वीरता देशभक्ति व स्वाभिमान की अद्वितीय परम्परा, गीत संगीत लोक संस्कृति की उत्कृष्टता व भावाभिनय, की अद्भुत परम्परा। पंजाब की समृद्धि व खुशहाली की साक्षी हरियाली। हिन्दुओं सिखों व मुसलमानों का प्रेमपूर्ण सहअस्तित्व की और सत्यधर्म व राष्ट्र के लिए कुरबान होने-जूझने की गौरवमयी परम्परा।

गुजरात की कारीगरी आतिथ्य सेवादारी व भक्ति। पवित्रता शुचिता व प्रकृति से लयबद्ध हो तीज त्यौहार मनाने का उत्साह। मध्य प्रदेश में सभी संस्कृतियों पुरातन व नवीन का सौन्दर्यपूर्ण संगम। केरल में प्रकृति के सौन्दर्य से मानव की क्षमताओं का तालमेल, कर्मठता व शिक्षा और ज्ञान की गरिमा।

क्या नहीं है भारत के पास। प्रत्येक महान आत्माओं ने या सच्चे बन्दों ने यही मुक्त कंठ से अपनी-अपनी भाषा में सदा ही सत्य प्रेम व कर्म का संदेश उद्घोषित किया। कहाँ के थे मीरा कबीर अमीर खुसरो सांईबाबा और भी अनेकों सूफी संत फकीर तुलसीदास सूर रैदास रहीम आदि क्या जात थी उनकी। कबीर के निष्प्राण शरीर के लिए झगड़ने वालों को कफन के नीचे केवल फूल ही तो मिले थे।

आज हम सभी भारतीयों को पहचानना ही होगा कि धर्मों जातों या सम्प्रदायों को बाँटकर और लड़ाकर जो अपना उल्लू सीधा करते हैं वो किस जात के हैं। हाँ इतना अवश्य है कि वो भारत के सपूत तो कदापि नहीं हैं। अपने लिए राजाओं जैसे राजसी ठाठबाट और अपने भाई भतीजों के लिए भी धनदौलत व गद्दी की जोड़-तोड़ बिठाना किस संस्कृति की देन है। बड़ी-बड़ी कोठियों और सुख सुविधाओं का जुगाड़ कर शक्ति प्रर्दशन कहाँ का सत्य है।

कैसे हों देश केकर्णधार और सूत्रधार कैसे हों पत्रकार! यह सब नई जागृत पीढ़ी को देखना व तय करना ही होगा। माँ भारती की चीत्कार सुनो, अपने अपने ज़मीर को जगाओ सत्य सब जान रहे हैं, नकली चेहरे पहचान रहे हैं उनको अपनी सही जगह दिखाकर उनके स्थान पर नई राष्ट्र प्रेमी प्रतिमाओं को आगे लाने का उद्यम पूरी आस्था व लगन से करना ही होगा। वरना समय तुम्हें कभी भी माफ नहीं करेगा। माँ भारती को असत्य व भ्रष्टाचार की बेड़ियों से स्वतंत्र कराना ही आज के समय की पुकार है नवयुग का प्रवेश द्वार है।
भारत सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र बनेगा ही।
यही सत्य है
यहीं सत्य है

  • प्रणाम मीना ऊँ

प्रातिक्रिया दे