आत्मज्ञान – पूर्वीय पक्ष

आत्मज्ञान – पूर्वीय पक्ष

चेतना को जानना व अनुभव करना इसके लिए ब्रह्माण्डीय सोच वाला होना ही होता है। यह पूर्वीय पक्ष है, पूर्व का विश्वास है।

  • भारत में लोग आत्मज्ञानी होने की आकांक्षा करते हैं। ब्रह्माण्डीय जीवन शक्ति जो सर्व विद्यमान, सर्व ज्ञानवान व सर्व शक्तिमान है उसे जानकर उसी में विलय होना ही मानव जीवन को पूर्णता देना है। यही पूर्वीय पक्ष है।
  • पाश्चात्य देशों में मस्तिष्क को जीतने की आकांक्षा है। मस्तिष्क को जानना मानसिक शक्ति और उसके खेलों में रमना जो कि सीमित है व भ्रमित भी करता है। कुछ सीमा तक सांसारिक जीवन को सफलता भी देता है।
    आध्यात्मिक व आत्मिक उत्थान हेतु, मन मस्तिष्क को सेवक बनाना होता है।
    उसे मानव अस्तित्व व सृष्टि के रहस्य, उजागर हेतु ध्यान में लगाना होता है।
  • जय सत्येश्वर
  • प्रणाम मीना ऊँ

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