प्रत्येक स्तर प्रगतिशील ध्यान, चैतन्यता व सचेतनता की ओर ले जाता है।
इस कार्यक्रम की विशिष्टता
प्रणाम की आकांक्षा है मानव की सभी क्षमताओं कौ उस उत्थान बिन्दु तक प्रगति हो जहां वो योग्यताएं बन जाएं और मानव की संवेदनाएं उन्नत संवेदनशीलता में बदल जाए जिससे कि प्रकृति के नियमों पर आधारित पूर्ण रूपांतरण
की प्राप्ति हो।
यह प्रत्येक मानव का उत्तरदायित्व है कि परिवर्तन कौ ओर कर्म करे।
वह परम चेतना जो सबमें व्याप्त है और सदा प्रगतिशील है वो उनके चयन को तत्पर रहती है जो अपनी आंतरिक उन्नति दर्शाते हैं।
प्रणाम का सकारात्मकता का मार्ग, जी.पी.एस. की तरह कार्य करता है। यह सबसे प्रभावशाली मार्ग बताता और सुझाता है ताकि हम अपनी यात्रा, आंतरिक सत्य के खोज की, लाभकारी रूप से प्रारम्भ कर सकें।
यह कार्यक्रम लेक्चर और प्रवचन देने से बचता है। आपसी संवाद को प्रोत्साहन देता है ताकि सभी साधकों के प्रश्नों का समाधान समयानुसार संदेशों व व्यवहारिक दिशा निर्देशों द्वार किया जा सके।
प्रणाम संदेशों में परम चेतना के सत्य का स्पन्दन है। यह निर्देश मीना जी के ध्यान में उतरते हैं और निरंतर उन्नत होती चेतना के अनुरूप कई दशकों से उनके द्वारा लिपिबद्ध किये जा रहे हैं।
प्रणाम के अनुयायी मीना जी के दिव्य आभामंडल के संरक्षण में सहयात्री हैं और एकत्व कौ शवित से कर्मरत हैं- परिवर्तन कौ ओर, वातावरण को धरती मां के सभी जीवों के लिए आनंददायी सुखदायी व सुंदर सह अस्तित्व में बदलने के हेतु।
प्रणाम के दैनिक सत्र सामूहिक प्रार्थना हेतु
मीना जी द्वारा लिखित-
सामूहिक प्रार्थना में महान शक्ति होती है
जब इसको एक दिशा दी जाए तो यह शक्ति सामूहिक रूपान्तरण के सूत्रपात में प्रयुक्त हो सकती है।
प्रणाम सबको पुकारता है कि 10 बजे रात्रि सब संयुक्त होकर मानवता की भलाई और सत्य धर्म की पुनर्स्थापना हेतु प्रार्थना करें।
10 अंक पूर्णता का द्योतक होने के साथ साथ 10वें अवतार श्री विष्णु का भी प्रतिनिधित्व करता है। जो कि इस युग में सचेतन है। मानव शरीर में भी मुख्य
10 प्रणाली तंत्र हैं- श्वॉस प्रणाली, नाड़ी तंत्र प्रणली आदि। ये सभी सही व सुचारु रूप से कर्म कर सकें ताकि दिव्य विधान में अपना पात्र मानव सही रूप से निभा सके। भाग लेने हेतु ट्विटर हैंडल @meenapranam पर सम्पर्क करें।
ब्रह्मांड से जुड़े रहने के लिए और सभी ज्ञान के लिए ‘GYAN’
समय की आवश्यकता के अनुसार डालना, एक में होना है
निरंतर ध्यान या विचार जो सार्वभौमिक है। हर समय सोचें
(ध्यान), यह सहज होना चाहिए। यह सिर्फ अभ्यस्त, यांत्रिक जैसा होना चाहिए
सांस लेने, जीवन के बारे में सार्वभौमिक शब्दों में। हर समय यह होना चाहिए
एक स्थिर लय की तरह - कि हम सब एक स्रोत से आते हैं, सब कुछ जैसा है
ब्रह्मांड के रूप में सुंदर।
कुछ भी नकारा नहीं जाना है
ब्रह्माण्ड हमें बनाएँ, हमें परिपूर्ण करें और हमें नष्ट करें
सब कुछ ग्रेस का उपहार है
यूनिवर्सल अनलॉक
मेरी और मेरी सीमा से परे
परिवार से परे, समाज
मेरे देश से परे, अपने देश ...
यह सर्वोच्च ध्यान है।
यही सच्चाई है।