मीना ऊँ
मीना ॐ
03-02-2024
हम स्वयं उत्तरदायी हमारे साथ होने वाली प्रत्येक घटना सुघटना या दुर्घटना के हम स्वयं ही उत्तरदायी हैं। हमारे शत्रु या मित्र हमारे अन्दर ही तो हैं। जो कुछ हम मनसा वाचा कर्मणा करेंगे उसी का फल हमें मिलता है। सब कुछ वापस घूमकर वार करता है। बाहर से कुछ नहीं होता, किसी के करने से कुछ नहीं होता। किस्मत को दोष देना या किसी और को दोष देना, अपने किए का उत्तरदायित्व
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मीना ॐ
25-01-2024
सत्य जानने वाला ही सत्य बोल सकता है सत्य जानने वाला विज्ञान जानता है जो चिन्तन मनन आत्ममंथन से जानना है सत्य अविनाशी है इसी अविनाशी में पूर्ण निष्ठा अटूट श्रद्धा ही प्रेरणा है जो सर्वत्र वही, वो ही, वो ही वो समझ आता है सुझाई देता है सब जगह सब प्रकारों में आकारों में सब जड़ चेतन सभी में वही है कुछ और है ही नहीं। ऐसा आत्मा में रमने वाला चिन्तन
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मीना ॐ
25-01-2024
हे अर्जुन ! तुम मुझसे कभी भी ईर्ष्या नहीं करते हो तभी तो तुम्हें सब गुह्यतम ज्ञान, विज्ञान सहित कहूँगा और तुम इसी संसार में रहकर इसी संसार के सब बंधनों से मुक्त हो जाओगे। प्रभु भी ईर्ष्यारहित पर ही कृपालु होते हैं। जब सारे रहस्य ज्ञात हो जाएंगे तो अंधकार स्वत: ही कट जायेगा। ईर्ष्या मोह का कारण है। ईर्ष्या अपनी व्यक्तिगत क्षमता को ना पहचानना है और यदि पहचाना भी तो
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मीना ॐ
25-01-2024
उत्कृष्टता और सौंदर्य एक दूसरे के पूरक हैं। सम्पूर्ण सौंदर्यमय व्यक्तित्व के सभी अंग तन मन बुद्धि त्रुटि रहित, सौंदर्योत्पत्ति करते हैं। दिव्य स्वरूप दिव्यात्मा आदि शब्द इसी स्वरूप की व्याख्या करते हैं। सौंदर्य जैसी दिव्यता का भी व्यापार बना दिया- भोगी संस्कारहीन पथभ्रष्ट मानवता ने। पुरुष के अहंकार ने, अहम् ने नारी के सौन्दर्य का मापदण्ड ही बदल के रख दिया। प्रसाधनों तक सीमित कर दिया उसकी सौंदर्य की दौड़ को। सौंदर्यशालाओं
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मीना ॐ
12-01-2024
प्रत्येक कर्म में उन्नति, उत्थान व सर्व कल्याण का ध्यान। प्रत्येक कर्म जैसे पूजा अर्चना अर्पण व तपस्या के भाव में करना।पूर्णता प्राप्त करना है उत्कृष्टता से प्रत्येक कर्म करना है यही धारणा सदा बनी रहे। कुछ प्राप्ति हो इस फल की इच्छा से रहित होकर।कर्मों में स्वच्छता सुन्दरता, सत्यम् शिवम् सुन्दरम्, व्यवस्था व संतुलन लाना सीखना होता है।क्या तुम क्षुद्र वस्तुएं भगवान को चढ़ाते हो। मंदिर में ऊट पटांग कपड़े जूते या
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मीना ॐ
30-12-2023
सुबह- ध्यान : जो साधोगे वही सधेगा- शान्ति तो शान्ति, अशान्ति तो अशान्ति, सत्य तो सत्य, असत्य तो असत्य, प्रेम तो प्रेम, कटुता तो कटुता, भक्ति तो भक्ति, विद्रूपता तो विद्रूपता आदि-आदि। जहां जाए ध्यान वहीं बने भगवान। दोपहर- योग : जो करोगे वही योग बनेगा कर्म पूर्ण कर्म – राग द्वेष रहित फलेच्छा रहित कर्म ही योग बनेगा कर्म योग की साधना। कर्म बंधन काटने का मर्म। संध्या-संस्कृति : संध्या संस्कृति का
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मीना ॐ
21-12-2023
सुबह- ध्यान : जो साधोगे वही सधेगा- शान्ति तो शान्ति, अशान्ति तो अशान्ति, सत्य तो सत्य, असत्य तो असत्य, प्रेम तो प्रेम, कटुता तो कटुता, भक्ति तो भक्ति, विद्रूपता तो विद्रूपता आदि-आदि। जहां जाए ध्यान वहीं बने भगवान।दोपहर- योग : जो करोगे वही योग बनेगा कर्म पूर्ण कर्म – राग द्वेष रहित फलेच्छा रहित कर्म ही योग बनेगा कर्म योग की साधना। कर्म बंधन काटने का मर्म।संध्या-संस्कृति : संध्या संस्कृति का समय मेल
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मीना ॐ
19-12-2023
ज्ञान बघारने के लिए नहीं होता। ज्ञान डींग मारने बताने या पढ़ाने के लिए नहीं होता। ज्ञान जीकर उसमें अनुभव का मोती पिरोकर प्रकाश के प्रसार के लिए होता है प्रचार के लिए नहीं होता। जीकर बताया गया ज्ञान, ज्ञान को जीकर अपने सत्य की कसौटी पर कसकर दूसरों को राह बताने के उद्देश्य से समझाने पर अवश्य ही वह वचन की तरह प्रभावकारी होता है। ज्ञानवान ज्ञानी के अलंकृत शब्द केवल प्रवचन
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मीना ॐ
18-12-2023
आरोप लगा कर ऊर्जा प्राप्त करना सामान्य सी बात है। मानव का स्वभाव बन गया है पर मानव यह बात समझ नहीं पाता कि ऊर्जा के साथ-साथ वह आरोपी के गुणदोष भी खींच रहा है जो आध्यात्मिक प्रगति की गति बहुत धीमी कर देते हैं क्योंकि तब व्यक्ति अपने स्व में नहीं रहता उसमें कोई और भी जुड़ जाता है। इससे बचने के लिए कुछ निश्चय करने होंगे। अपनी निजी समस्याओं की घोषणा
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मीना ॐ
18-12-2023
तू खुशबू है तुझे कैसे गिरफ्तार करूँ मैं जो जल गया मैं जो मिट गया गल गया बह गया उड़ गया मिल गया अग्नि अग्नि में पानी पानी में ïआकाश आकाश में हवा हवा में पृथ्वी पृथ्वी में समा गया और बन गया तेरा ही मूलरूप जिसमें मिला दो लगे उस जैसा यही है उसका रंग मैं तो यही जानूँ बस अब तो वो ही वो है, वो ही वो है वो ही
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मीना ॐ
21-11-2023
जब से सृष्टि बनी तब से सब याद रहना समझ लेना सारे रहस्य सारा सत्य ज्ञान यह मनुस्मृति है। गीता में श्रीकृष्ण ने यह सत्य स्वीकारा है कि सारे तथ्य सत्य को सबसे पहले मनु प्रथम मानव ने अपने पिता सूर्य से जाना- सत्य ऊर्जा स्रोत से। बाद में यह ज्ञान-रहस्य ऋषियों ने जाना पर धीरे-धीरे यह ज्ञान लुप्त हो गया। अर्जुन को यह ज्ञान श्रीकृष्ण ने गीता बता बताकर दिया। ना जाने
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मीना ॐ
18-11-2023
गुनातीत होने पर तेरी ही कृपा चाहिए। केवल सत्य से ही रीझने वाली, ना किसी के आगे ना पीछे, न धन से ना मान से ना ज्ञान के अभिमान से, स्पष्टता, पवित्रता व शुद्ध भाव के प्रकटीकरण की शक्ति देने वाली, सत्यम् शिवम् सुन्दरम् कलाओं की प्रेरणा व प्रश्रयदात्री। वाणी को वेद बनाने वाली तेरी आराधना सदा ही प्रिय हो।पूर्ण समर्पण : पूर्णतया आधिकारिता की समाप्ति। सम्पूर्ण लेन-देन ऊर्जा का, ना कम ना
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मीना ॐ
13-10-2023
अचानक कुछ होना जिसका अर्थ बहुत गहरा होता है जिसका कोई न कोई संदेश अवश्य है। यही ब्रह्माण्ड का क्रियाकलाप है। आत्मानुभूति की प्रक्रिया है। समर्पण : विज्ञान की अंधी दौडï में भूला इंसान परा ज्ञान को, नकार दिया अपने अद्वितीय अस्तित्व को स्रोत को। पर अब पथ भूला राही मानव सत्यता को मानना चाह रहा है। घूमा है कालचक्र, मानव अपनी सच्ची जड़े ढूंढ, जुड़ना चाह रहा है अपने सत्य ऊर्जा स्रोत
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मीना ॐ
03-10-2023
आपको अपने प्रति सत्यवान होने के लिए मिला है क्यों कुछ लोग बड़े – बड़े व्यवसायी या अपने अपने क्षेत्रों में अग्रगणी नेता आदि होते हैं क्योंकि वो अपने मन मस्तिष्क को जानते हैं और पूरी सच्चाई व आस्था से अपने पूरे उद्यम व शारीरिक, मानसिक क्षमताओं से उसके लिए कर्म करने को उद्यत होते हैं दुनिया की परवाह किए बिना प्रत्येक वो वस्तु उन्हें स्वत: ही प्राप्त होती जाती है जो उन्हें
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मीना ॐ
29-09-2023
प्रणाम जीवन के जिस परम संदेश के प्रसार को अवतरित हुआ है वो यह है कि मानव जीवन मुक्त होने के लिए ही बनाया गया है। प्रणाम वह सत्य बताता है उन सम्भावनाओं को उजागर करता है जिसमें मानव जीवन केवल रहने के लिए ही नहीं बना है। हमारा अस्तित्व बना ही है उत्कर्ष के उस बिन्दु पर पहुंचने के लिए जो कि सारी सीमाओं से मुक्त है। एक ऐसा विस्फोटक बिन्दु जहाँ
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मीना ॐ
28-09-2023
यह ध्रुव सत्य है। सच्चे मन की प्रार्थना में अपूर्व शक्ति और प्रभावोत्पादकता होती है। संयमी व्यक्ति यदि मन मस्तिष्क की सम्पूर्ण शक्तियों को केंद्रित कर श्राप दे या आशीर्वाद अवश्य ही फलीभूत होता है। मन की संकल्प शक्ति में अपार शक्ति है। शुद्ध अन्तरात्मा की आवाज की भविष्यवाणियां व शुभेच्छाएं दोनों ही सही होती हैं और यह हमारे सच्चे मन के अन्त: दर्शन व सम्पूर्ण ज्ञानमय तत्बुद्धि युक्त मस्तिष्क की देन है।
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मीना ॐ
27-09-2023
किसी को प्रभावित करना या करने की चेष्टï करना, पाखंड, ढोंग दिखावट व झूठ है। शायद कोई आपसे प्रभावित हो भी जाए पर ऐसे प्रभावित कर देना अधिक देर नहीं ठहरता, तो यह भी एक प्रकार का ऊर्जा का हनन व प्रदूषण है। जब हम दूसरों को प्रभावित करने का प्रयत्न करते हैं अपने व्यक्तित्व बुद्धि चातुर्य या किसी अन्य उपाय से ताकि प्रभावकारी छाप छोड़ें तो हम अपने ही बनाए मकड़जाल में
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मीना ॐ
26-09-2023
वैदिक प्रथाओं में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रभु की दया मांगने की अपेक्षा उसकी दया पाने योग्य बनना होगा। सुपात्र बनना ही होता है। बाद के जितने धर्म आए उनमें इसे, सुयोग्य व सुपात्र बनने के कर्म को इतना महत्व नहीं दिया गया। धार्मिक स्थलों पर सामूहिक प्रार्थनाओं की या अन्य और किन्हीं बाहरी तरीकों से पाप धोने की विधियां अधिक पनप गईं। कर्मकाण्डों व किताबी ज्ञान का इतना विस्तार कर
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मीना ॐ
26-09-2023
ज्ञान भी एक रास्ता है सत्य को पाने का सत्य क्या है- सत् चित् आनन्द, सच्चिदानन्द सच्चिदानन्द क्या है- ऐसा सत्य पूरित चित्त जिसमें आनन्द ही आनन्द है वो आनन्द जो ना खुशी है न ग़म, ना सुख ना दुख ना अहम् ना त्वम् एक आलौकिक अनुभूति सब कुछ जान समझ लेने की, न कोई प्रश्न ना जिज्ञासा ना भागदौड न उत्सुकता, बस परा चेतना से जुड़कर नित नव नूतन आनन्दमयी स्थिति, सदा
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मीना ॐ
25-09-2023
व्यक्तिगत सारी दुविधाओं से ऊपर उठकर कुछ भी मेरा अपना है ही नहीं दिव्य चेतना ही मूर्तरूप में परिलक्षित हो रही है… मेरा या तेरा कुछ भी नहीं योग है दिव्यता से एकत्व मैं परम का यंत्र हूँ, माध्यम हूँ अपने आत्म तत्व आत्मिक ऊर्जा और मूल प्रकृति में स्थित सिर्फ वो ही देख पाएंगे जिनके लिए आत्मानुभूति समय व्यतीत करने का एक साधन नहीं आत्मानुभूति कोई फैशन या मनोरंजन की वस्तु नहीं
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मीना ॐ
18-09-2023
चेतना को जानना व अनुभव करना इसके लिए ब्रह्माण्डीय सोच वाला होना ही होता है। यह पूर्वीय पक्ष है, पूर्व का विश्वास है। भारत में लोग आत्मज्ञानी होने की आकांक्षा करते हैं। ब्रह्माण्डीय जीवन शक्ति जो सर्व विद्यमान, सर्व ज्ञानवान व सर्व शक्तिमान है उसे जानकर उसी में विलय होना ही मानव जीवन को पूर्णता देना है। यही पूर्वीय पक्ष है।पाश्चात्य देशों में मस्तिष्क को जीतने की आकांक्षा है। मस्तिष्क को जानना मानसिक
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मीना ॐ
16-09-2023
मैं मेरा मन मेरा खुदा मेरी आत्मा और मेरी तन्हाई एक ही तो हैं खुदा और खुदाई सारी खुदाई में मैं और मेरी तन्हाई यही तन्हाई मन भाई कन्हाई यही है सच्चाई यहीं है सच्चाई मैं मेरा मन मेरा खुदा मेरी आत्मा और मेरी तन्हाई मैं पाँच ही हूँ मैं अकेली अकेली कहाँ हूँ सारी खुदाई में मैं और मेरी तन्हाई यही तन्हाई मन भाई यही है सच्चाई – यहीं है सच्चाई प्रणाम
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मीना ॐ
12-09-2023
जब तक इंसान दूसरे इंसानों से ऊर्जा लेकर काम चलाएगा, शक्ति लेगा उसके दुखों का अन्त नहीं होगा क्योंकि इंसान से ऊर्जा लेने पर उसके कर्मों का बोझा भी ढोना पड़ता है। जब मनुष्य दूसरे से ऊर्जा लेता है तो बंधता है जब अपने आप ब्रह्माण्ड से ऊर्जा लेता है किसी और पर निर्भर नहीं होता ऊर्जा के लिए, तो मुक्त होता है स्वतंत्र होता है। स्वतंत्र होना बंधन मुक्त होना ही मानव
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मीना ॐ
16-08-2023
अब समय आ गया है कि आत्मानुभूति (स्पिरिचुएलटी) व धार्मिकता का अंतर स्पष्टï किया जाए। धार्मिकता मनुष्यों की बुद्धि से पनपा अध्यात्मवाद है, पंथ है, जिसे तोड़ा-मरोड़ा जा सकता है, जबकि आत्मानुभूति सच्चे मानव को प्रकृति द्वारा अनुभव कराई प्रकृति के ही नियमों वाले शुद्ध धर्म की सच्चाई है। कलियुग में धार्मिक गुरुओं व तकनीकों की भरमार ने सब गड़बड़ घोटाला कर दिया है। पर यह स्थिति भी प्रकृति की ही देन है
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मीना ॐ
24-04-2023
हे मानव! कुछ तो सोच जरा- बच्चा सोचे कब बड़ा होऊँ बड़ों की तरह रहूँगा व्यवहार करुँगा आदि-आदि बच्चे को बड़ा होने की प्रतीक्षा। पढ़ाई पूरी कर कमाने की प्रतीक्षा कमाना शुरु करते ही सही साथी की या शादी की प्रतीक्षा। फिर प्रतीक्षा की लम्बी कड़ी प्रतीक्षा ही प्रतीक्षा कब बच्चे हों बड़े हों फिर उनका जीवन संवार कर उनको व्यवस्थित करने की प्रतीक्षा। फिर कब बूढ़े माँ-बाप से छुटकारा हो और जायदाद
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मीना ॐ
06-04-2023
प्रणाम का धर्म मानवता है जो प्रकृति के नियमों की सत्यता पर आधारित है। मानव जीवन का सत्य क्या है कैसे मानव अपने अन्दर छुपी दिव्य शक्तियों को उजागर कर विश्व में सत्य प्रेम व प्रकाश का प्रसार कर सकता है इसी का मार्गदर्शन प्रणाम में उदाहरण बनकर मिलता है। प्रणाम का कर्म- वेदभूमि भारत की गौरवमयी संस्कृति के सौंदर्य की पुन: स्थापना करना। उसका मानव के शरीर मन व आत्मा के उत्थान
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मीना ॐ
30-01-2023
हे मानव! सबसे बड़ा आश्चर्य यही है कि जब पराशक्ति मानवों को अपने ही बनाए हुए चक्रव्यूहों से निकालकर किसी महान उद्देश्य की ओर इंगित व अग्रसर करने का सत् संकल्प किसी एक उन्नत मानव के अन्तर, अस्तित्व में प्रस्फुटित करती है तो भावानुसार वैसे ही कुछ मानवों को भी अवश्य ही तैयार कर लेती है जो स्वेच्छा से स्वत: ही उसमें योगदान को तत्पर होते हैं। जो परमबोधिनी शक्ति सत्य को अवतरित
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मीना ॐ
28-01-2023
आगे बढ़ना ही होगा रुकना कब जाने मीना तुमको कदर नहीं तुमको खबर नहीं तुमको सबर नहीं तो ये चली मीना बही मीना सही मीना कब कहाँ रही मीना न यहाँ न वहाँ पारे की तरह पारदर्शी मीना फिर भी न जाने मीना हैरान है मीना क्यों नहीं समझ पाए जमाना कि क्या है मीना वेदमयी सत्यमयी प्रेममयी मीना कर्म दीवानी मीना प्रभु की कहानी मीना यही सत्य है यहीं सत्य है प्रणाम
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मीना ॐ
27-01-2023
सत्य प्रेम कर्म प्रकाश का मंगलकारी चतुर्भुज प्रथम मंगलकारी एक ओंकार नाम तन मन छाए अनन्त परम विश्राम सत्यरूप का जो मानव करता ध्यान हो जाए प्रेममय स्वरूप भगवान दूजा मंगलकारी पावन आत्मवान कर्म बंधन तोड़ प्रकाशित मुक्तिवान ऐसी सुवासित आत्मा को जो सिमरे तन-मन-बुद्धि का सब संताप बिसरे तीसरा मंगलकारी सच्चा ऋषि-संत कलियुग तारण निर्मल सत्संग प्रेमयुक्त योगी परमात्म समरूप दिखलावे जीवन का सत्य स्वरूप चौथा मंगलकारी माना मार्ग यह मान सत्य
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मीना ॐ
24-01-2023
मंगलम् प्रणाम मंगलम् सत्य जीवन मंगलम् प्रेम धर्म मंगलम् कर्म प्रसार मंगलम् प्रकाश विस्तार मंगलम् प्रकृति विधान मंगलम् प्रणाम सुगीता मंगलम् जीवन आनन्द मंगलम् प्रणाम बंधु मंगलम् प्रणाम बंधुत्व मंगलम् प्रणाम एकत्व मंगलम् विश्व कल्याण मंगलम् वेद भारत मंगलम् सनातन ज्योति मंगलम् भारत भारती मंगलम् परम ब्रह्मïवेत्ता मंगलम् अनन्त ब्रह्मïाण्ड मंगलम् सम्पूर्ण सृष्टिï मंगलम् चेतन तत्व मंगलम् परम चैतन्य मंगलम् अथक पुरुषार्थ मंगलम् प्रणाम प्रसार मंगलम् मंगलम् प्रणाम मंगलम् यही है सत्य यहीं
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मीना ॐ
23-01-2023
ज्ञान की सार्थकता तो सत्य जानकर सत्य होकर सच्चिदानन्द में विलय होने में है परमानन्द को पाकर सम्पूर्ण ज्ञान द्वारा परमानन्द फैलाना है कर्म औ’ पूर्ण शक्ति से ज्ञान का प्रकाश फैलाना ही धर्म है सत्य ज्ञान प्रवचन करना नहीं सिखाता है सत्य ज्ञान तो सत्य कर्म का वो रास्ता बताता है जिसे जीकर अनुभव कर सत्यमय होना होता है सत्यमय होकर ही सत्य बताना होता है यही सत्य है यहीं सत्य है
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मीना ॐ
20-01-2023
ओ प्रभु मुझे दृढ़ता साहस व शक्ति दो सद्विचारों व सत्य दूरदर्शिता को कर्म में बदलने की एक ऐसी अद्भुत क्षमता दो जो जड़-चेतन सबमें एकाकार हो समस्त सृष्टि में लीन हो जाए जो सब मानव-मस्तिष्कों का भाव एक कर सत्य पे्रम व प्रकाश द्वारा शान्ति और आनन्द के प्रसार का सर्वत्र जन अभियान चला दे यही सत्य है यहीं सत्य है प्रणाम मीना ऊँ
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मीना ॐ
19-01-2023
झूला जरा धीरे से झुलाओ ओ सांवरिया प्रभो तुम ही तो भेजते हो जगह-जगह क्यों कृष्ण क्यों जगह-जगह फिराए तुम्हारा विरह जो भी काम कराने हैं जिनके भी कर्म धुलवाने हैं ज्ञानचक्षु खुलवाने हैं तुमने मेरे कदम वहीं पहुँचाने हैं क्यों चुन लिया मुझे ही यही तो बात है मीना के मुस्कुराने की अन्तर में दर्द छुपाने की दिल में अपार विरह ऊपर मनोहारी मुस्कान करे निसदिन तेरा गुणगान प्रभो न देना अभिमान
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मीना ॐ
18-01-2023
आओ मिलकर करें सृजन जान लो सब आया संदेशा माई का जो सुनेंगे पाएँगे जीवन का दर्शन ज्ञान-ध्यान वेद विज्ञान सत्य प्रेम औ’ कर्म का महामंत्र जो देगा शक्ति अनन्त करने को स्थापित प्रकृति का सत्य मानव का कृत्य इस धरा पर सुखदां वरदां शस्य श्यामला वसुंधरा पर या किसी से कुछ सीखो या कुछ सिखाओ यही जीवन का ज्ञान है पाँच तत्व पूर्ण प्रणव प्रमाण प्रत्यक्ष प्रणाम यही सत्य है यहीं सत्य
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मीना ॐ
17-01-2023
हे मानव! शब्द के सार से ही संचालित है समस्त संसार का व्यवहार, इसकी महिमा जानकर जीवन सुधार। एक-एक शब्द में संसार समाया है। एक भावपूर्ण प्रेममय शब्द में असीम शक्ति निहित है। आज विज्ञान भी शब्दों की ध्वनि व भाव से उत्पन्न कम्पन गति (वाइब्रेशन) का सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में व्याप्त होने को मान रहा है। हमारे वैज्ञानिक ऋषियों ने सदियों पहले इसी ऊर्जा का ध्यान द्वारा अनुभव कर मंत्रों की कुंजियाँ हमें
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मीना ॐ
14-01-2023
हे मानव! सबसे बड़ा आश्चर्य यही है कि जब पराशक्ति मानवों को अपने ही बनाए हुए चक्रव्यूहों से निकालकर किसी महान उद्देश्य की ओर इंगित व अग्रसर करने का सत् संकल्प किसी एक उन्नत मानव के अन्तर, अस्तित्व में प्रस्फुटित करती है तो भावानुसार वैसे ही कुछ मानवों को भी अवश्य ही तैयार कर लेती है जो स्वेच्छा से स्वत: ही उसमें योगदान को तत्पर होते हैं। जो परमबोधिनी शक्ति सत्य को अवतरित
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मीना ॐ
03-01-2023
मैं अपने सृजनहार की ओर अनुकम्पा के लिए मुड़ी मुझे प्रकृति में ही सांत्वना मिली और देखो तो प्रकृति ने मुझे सब कुछ दिया मेरी सारी भावनात्मक आवश्यकताओं को थपथपाया ऊर्जा दी सांसारिक कर्मों व दिव्य कृत्यों के लिए तृप्त किया मेरी ज्ञान पिपासा को भेदा मेरी दुविधाओं के बादलों को मिटा डाले सभी संशय और भ्रम इसी धरती पर मेरे अस्तित्व और ब्रह्माण्ड के रहस्यों के उत्तरित हुए प्रश्न सभी तब किया
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मीना ॐ
02-01-2023
परमदाता परमेश्वर प्रभु सिर्फ देता ही देता है किसी को कुछ किसी को कुछ किसी को खुशी किसी को गम किसी को साथ किसी को अकेलापन किसी को धन किसी को मन किसी को आराम किसी को कर्म किसी को सेवा किसी को ज्ञान किसी को भक्ति किसी को मर्म जलवायु आकाश मिट्टी ताप विस्तार प्रसार वरदान शाप सुपात्र अनुरूप जीवन का अंत तभी तो उसके रूप अनंत यही सत्य है यहीं सत्य
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मीना ॐ
31-12-2022
प्रणाम में भाव बीज बोया जाता है मन का मैल धोया जाता है आत्मा का बोझ हटाया जाता है जीवन जीवन्त हो जीया जाता है अपना आपा खोया जाता है राग-द्वेष संताप-क्लेश मिटा पुरुषार्थ को उद्यत हुआ जाता है अपना आपा खोया जाता है राग-द्वेष संताप-क्लेश मिटा सृष्टि से एकत्व जगाया जाता है यही सत्य है यहीं सत्य है प्रणाम मीना ऊँ
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मीना ॐ
29-12-2022
भाप उड़-उड़ मिलजुल बादल बनी भूरी-सफेद-सलेटी परियाँ बनी-ठनी भारी-भारी तरल जल हल्का होता बन बादल घुमड़े आकाश आकाश पवन झोंकों पर सवार गुनगुनाता गीत मल्हार टकराता कोई सुपात्र जब झूम-झूम बरसता तब मन भर-भर खिलखिलाता सब उँड़ेल हल्का हो जाता यही है चिरन्तन नियम प्रकृति का ज्ञान भरो उठो फिर हल्के हो जाओ सदा उन्मुक्त विचरण करना जहाँ-जहाँ नियति की हवा घुमाए मिले जब कोई सुजान निद्राजयी अर्जुन समान नि:स्वार्थ ज्ञान वर्षा प्रेषित
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मीना ॐ
28-12-2022
हे मानव ! ज्ञान सीप में छुपा मोती बीनना सीख। जीवन सिर्फ जीकर ही बिता देना नहीं है जीवंत हो जीना है। ज्ञान मार्ग है उस महानतम सत्य सच्चिदानंद, सत् चित् आनन्दस्वरूप को पाने का जो न खुशी है न गम न दुख न सुख न ही अहम या त्वम एक अलौकिक दिव्य अनुभूति सब कुछ जान समझ लेने की, न प्रश्न, न जिज्ञासा, न संशय, न उत्सुकता, बस प्रफुल्लता ही प्रफुल्लता। परा
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मीना ॐ
27-12-2022
घनेरे बादल छू रहे तन को अतुल प्रेम से भरते मन को अंक में बादलों के यह शरीर नश्वर ठंडी-ठंडी सीली-सीली अनुभूति मधुर चारों ओर पेड़ ही पेड़ पौधे ही पौधे झूमती लताएँ औ’ रंगीन फूलों के बूटे दिखते दूर-दूर जहाँ तक दृष्टि समाए मीना जीव के चारों ओर घेरा-सा बनाए नि:शब्द समर्पण में रहे भीग पर्वत महायोगी आँखें मींच मेरा अस्तित्व इस सम्पूर्णता का हृदय जैसा साक्षी केवल नश्वर शरीर का स्पंदन
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मीना ॐ
26-12-2022
मानव मन की संकीर्णता व बुद्धि की क्रूरता न जीने दे न मरने दे न खुद को न किसी और को पर जिसके साथ कृष्ण चेतना का हाथ वो क्यों करे प्रतिकार क्योंकि वही नकारात्मकता वही आतंकवाद वही तो बनता उत्थान का आधार प्रभु तेरा आभार देता सदा वृश्चिक दंश दर्द की उठा लहरें बढ़ा देता रक्त संचार जो खोल देता गाँठें मन की अनेक औ’ देता बुद्धि विस्तार बुद्धि विस्तार अपार जितना
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मीना ॐ
24-12-2022
उड़ चल मीन मना उड़ जाएगा हंस अकेला हे मन मनमोहन अब कहीं और ले चल हो गये भारी-भारी से कुछ कठिन-कठिन से पल कितना पुकारा ओ मानव अब तो संभल… संभल पर बस मैं ही मैं का राग मेरा ये ठीक हो जाए मेरा वो ठीक हो जाए कुछ भी ऐसा हो जाए जिससे मुझे बस मुझे ही मुझे कैसे भी चैन व आराम मिल जाए सारा जीवन सुखी हो जाए यही
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मीना ॐ
22-12-2022
युगों का खेला देखूँ मायावी मेला सत्य भाव संकल्प बन जाते सत्य भाव संकल्प बन जाते समय रथ कालचक्र पहिए ध्यान की रास विचार घोड़े सत्य की ओर ही तो दौड़े जहाँ पहुँची हूँ जहाँ पहुँचा है मेरा मन वहाँ से तो केवल दृष्टा बन बस देखना ही होता है हर पल की होनी के प्रति पूर्ण चैतन्य सदा चैतन्य सत् चित् आनन्द का मूर्तरूप धरे ऊर्जा की उर्मियाँ ज्ञान की रश्मियाँ भृकुटि
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मीना ॐ
21-12-2022
एक ऐसे संवेदनशील हृदय की जो सबसे नि:स्वार्थ प्रेम करे ऐसे सुंदर हाथों की जो सबकी श्रद्धा से सेवा करें ऐसे सशक्त पदों की जो सब तक प्रसन्नता से पहुँचें ऐसे खुले मन की जो सब प्राणियों को सत्यता से अपनाए ऐसी मुक्त आत्मा की जो आनन्द से सबमें लीन हो जाए यही सत्य है यहीं सत्य है प्रणाम मीना ऊँ
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मीना ॐ
17-12-2022
जो दिखे नहीं फिर भी दीखे पाँचों तत्वों से पाँचों इन्द्रियों से झलके सृष्टि की हर छटा से वो प्यारा-प्यारा मधुर-मधुर अहसास जिसके आगे होते सारे के सारे अहसास फीके-फीके से जो न टिके न रुके न झुके कहीं भी पर बन स्मरणीय स्मृति की नाद गूँजे घट भीतर भिगोता गात सींचता प्रेम-वर्षा से आत्मवृक्ष कभी भी न रीते संसारी मायावी जीवन जीते-जीते भागदौड़ में न जाने कब हो जाते नयन भीगे-भीगे तो
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मीना ॐ
16-12-2022
हुई अवतीर्ण एक मनु धरती पर खिली प्रकृति की मानसपुत्री-सी प्रकृति की इच्छास्वरूप मूर्तमान रूप आप ही अपने को जाना-माना देखा-परखा समझा-बूझा और कस-कस कर जीवन को कसौटी पर तत्पर हुई माना मार्ग चलाने को चल पड़ी अकेले ही अकेले सत्य की राह बनाने को होने लगे रूपांतरित इस आभामंडल से संसारी कर्मों के आकार-प्राकार अज्ञान की घोर अँधेरी रातों में प्रकृति के शाश्वत नियम स्थापन सत्यदीप प्रज्वलन को संकल्पित हुई धरा पर
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मीना ॐ
12-12-2022
मीना जाने और माने मानव में अपनी क्षमताओं से भी परे जाने की क्षमता है सारी शक्तियाँ हैं मीना ने देखा एक प्रफुल्लतापूर्ण प्रफुल्लित आनन्दमय प्रभु परमेश्वर बुद्धि और उसके आकर्षण से परे परे ही परे आत्मा का वैभव आत्मा का ऐश्वर्य न भय न असमर्थता न छोटेपन का भाव सब कुछ कर पाने की समर्थता का आनन्द सम्पूर्ण विश्व को प्रकाशमय करने को तैयार एक युगातीत भारत सम्पूर्ण वेदमय-मेरा भारत यही सत्य
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मीना ॐ
10-12-2022
हे मानव! कैसे आओगे कैसे पहुँच पाओगे तुम मुझ तक तुम कहते हो ज़रा मिलना है पूरा मिलना शायद तुम्हारे बस में है ही नहीं तुमने चाह लिया कि मिलना है तो हे मानव! क्या तेरी चाह से ही होगा मिलन सब कुछ तेरी चाह से ही होना चाहिए जो तू चाहता है वही क्यों होए तो जान ले यह सत्य जब तक ना आवेगा बुलावा सत्यमय परम का तू नहीं जा पाएगा
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मीना ॐ
06-12-2022
मन के शीशे से धूल साफ की खूब देखा जमाने का रंग पैसे का संग दिमाग के खेलों का रंग अहम् का ढंग पर सच सच के पास ही जाएगा पर सच सच के पास ही जाएगा यही सत्य है यहीं सत्य है प्रणाम मीना ऊँ
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मीना ॐ
05-12-2022
शुक्र का सूर्य परागमन हुआ वीनस सौंदर्य का प्रतीक एकदम ठंडा व एकदम गर्म दोनों का संतुलन ही सौंदर्य उपजाए अग्निपथ से तप कर शुद्ध तो होना ही होता है शुरू कर दी है यह यात्रा तपस्यामयी जिन्होंने प्रणाम के प्रवाह के साथ-साथ वो तो आसानी से जाएँगे गुज़र होकर जीवन की हर बाधा से तर युगों जैसे वर्षों से मेरी बातें सुन-सुन क्रोध मेरा कर सहन प्रताड़नाओं का मर्म गुन गुन तैयार
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मीना ॐ
03-12-2022
मीना अवतारों की शृंखला से जुड़ी उसी माला में पिरोई ईश्वर मत्स्यावतार से कल्कि तक का सफर मेरा सफर यह शरीर धारण करती है अवतार चेतना जहाँ तक उसे पहुँचाना होता है पहुँचाकर दूसरा शरीर धर लेगी दूसरा शरीर धर लेगी बदल लेगी अवतार चेतना स्वत: ही पुराने कपड़ों की तरह ये नश्वर शरीर पर सदा ही मार्गदर्शन देती सारी सृष्टि का खेल सारा का सारा सम्पूर्णता से दिखाती बताती सम्पूर्णता से दिखाती
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मीना ॐ
02-12-2022
जीतने की उमंग की तरंग थमने न पाए जीत जाने के उद्यम का श्रम रुकने न पाए सत्य कर्म प्रेम का माना मार्ग जो भी अपनाए ऐसे आत्मबली मानव के प्रभु हो जाते स्वयं सहाय जीत जाएँगे हम अगर तू साथ है अगर तू साथ है अगर तू साथ है ओ कन्हाई यही सत्य है यहीं सत्य है प्रणाम मीना ऊँ
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मीना ॐ
01-12-2022
प्रकृति सदा ही गोलाकार गोलाइयाँ लिए रचना रचती है सारे ब्रह्माण्डीय नक्षत्र सितारे ग्रह गोलाइयाँ लिए हैं अपने आप जलते-सुलगते ठंडे पड़ते बिगड़ते और बिगड़कर फिर-फिर बनते बनते ही रहते सदा कर्मरत प्रकृति की प्रगति औ’ उत्थान प्रक्रिया में संलग्न संघर्ष करते अनवरत अपनी सत्ता को मनवाते से अपनी-अपनी सामर्थ्यानुसार ब्रह्माण्ड को सौंदर्यमय बनाते से सम्पूर्ण सृष्टि की अनन्त व्यवस्था में पूर्ण योगदान देते जीवंत रहकर जीवंतता प्रदान करते कांटे ही सीधे होते
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मीना ॐ
30-11-2022
मनु का सत्य : भाग- 2 मनु अणु का विस्तार मेरे से बाद मेरे से पहले कुछ भी नहीं मेरा अस्तित्व बीच में तुम नाचो चहुँओर पास आकर फिर भागो दूर-दूर भागो, भागते रहो युगों-युगों से यह भागदौड़ तो तभी समाप्त होगी जब मुझ जैसे ही पारदर्शी पारे की तरह होकर मुझमें ही विलय हो जाओगे पूर्ण ज्ञान-विज्ञान है जो नहीं जाना गया वही अज्ञान है मीना अणु है अणु का विज्ञान है
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मीना ॐ
29-11-2022
भाग 1 : मीना का विज्ञान प्रभु – Supreme – परम प्रभुता – Supremacy – परमता परम तत्व अणु तत्व – Essence of atom सत्य का तत्व – Essence of truth अणु – Atom-essence of whole & complete पूर्णता का तत्व अपनी पूर्णता में स्थिर मीना तुम मेरे चारों ओर आ जाते हो इर्द-गिर्द घूमते हो मेरे ही आसपास ऊर्जा पाकर लेकर फिर दूर भाग जाते हो अपने कर्म खेलने खिलाने को पर
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मीना ॐ
28-11-2022
मनु मेरे लिखने का नाम मेरे अंतर के लेखक का नाम मनु मेरे अंतर की आत्मानुभूति का नाम मीना ऊँ मेरे सांसारिक संबोधन का नाम मीना जी यही है मीना ऊँ मीना ओऽम् अनुभूति योग अनेकों अव्यवस्थाओं को व्यवस्थित रखने की चेतना का नाम ही मीना है जो पूर्णता का नित्य प्रवाह है शान्त क्रियाशील व सर्वसमर्थ है शिक्षा वेद की ब्रह्माण्ड ज्ञान की औ’ प्रकृति के विधान की स्वयं युगचेतना की परम
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मीना ॐ
26-11-2022
ओ मेरे कृष्ण खुश हो ना अब तो तुम अब तो मुझे कभी भी छोड़कर नहीं जाओगे न तुम जा ही नहीं सकते इतनी तपस्या इतनी परीक्षाएँ ले लीं यही चाहते थे न तुम कि तुम्हारे ही धर्म सत्य प्रेम और कर्म पर टिकी रहूँ तुम ही हो जाऊँ कोई भी ऐसा पहलू जि़न्दगी का जिसे मैं छू न सकूँ कोई भी वातावरण जिसे मैं झेल न पाऊँ तुमने छोड़ा ही नहीं जानती
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मीना ॐ
25-11-2022
सत्य की सर्वशक्तिमान सत्ता करोड़ों सूर्यों से भी तेजवान प्रकाश से भी वेगवान कर दे सम्पूर्ण सृष्टि उजागर वह तेरे ही भीतर तो है देख समझ पहचान धर के ध्यान सत्य ही आगे आएगा झूठ का भरम मिट जाएगा नई आशा जगी है मन में पूर्ण विश्वास है मानवता में आएगा वही सवेरा जो होगा प्रणाम के मन का बसेरा प्रभु के मन का सवेरा जय श्री कृष्ण आज मोरे अँगना श्याम रंग
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