जो तोकू कांटा बोए ताहि बोई तू फूल
जो तोकू कांटा बोए ताहि बोई तू फूलतोको फूल के फूल हैं वाको हैं त्रिशूल। तेरी राह में जो कांटे उगाए उसकी राह में तू फूल उगाता चल! तुझे तो फूल ही फूल मिलेंगे उसे त्रिशूल मिलेंगे। तीन शूल-बीमारियां व्यथाएँ व दुर्घटनाएँ उसको खुद ही सताएँगी। सब कहते हैं हम तो अच्छा ही करते हैं दूसरों का क्या करें? बाहरी परिस्थितियाँ खराब हैं, क्या करें? तो भई बुराई कौन कर रहा है, इसका निर्णय कौन कर सकता है इसका अधिकार सिर्फ प्रकृति को है। उस प्रकृति को जो भगवान की भी जन्मदात्री माँ है। माँ बच्चों को सजा भी कुछ सिखाने के लिए ही देती है। भगवान तो हमारे ही अंदर है अगर वह हमारे अंदर बैठा-बैठा सबको दोष ही दे रहा है तो इसका अर्थ है हमने अपने अंदर के भगवान को नहीं पाया। जब उसको पा लेंगे तो वह तो बस प्रेम ही प्रेम का रूप है। यह…