हर शाख पर उल्लू बैठा है अंजामे गुलिस्तां क्या होगा
होगा वही जो प्रकृति को मंज़ूर होगा और प्रकृति को सिर्फ सत्य, कर्म और प्रेम ही मंज़ूर होता है। सत्य सुकर्म करने का ब्रह्मास्त्र है। सत्यवादी ही निडर होकर सत्कर्म को तत्पर होता है- इतना बढ़े सत्य का तेज। हो सब विकृतियाँ निस्तेज॥ सत्य की तपस्या से अपने अंतर के भगवान को जगाना ही होगा। तुम सब भगवान हो पर जब तक भगवद् गुण प्राप्त कर दिव्यता धारण नहीं करते भगवान के अंशमात्र ही हो। भगवान, ईश्वर, अल्लाह, प्रभु के बच्चे ही हो। जैसे आदमी का बच्चा जब तक बड़ा होकर आदमी के गुण नहीं पा लेता बच्चा ही कहलाता है। प्रकृति ने सबको दिव्यता जगाने की क्षमता दी है यही प्रभु कृपा है। सब कुछ त्याग कर ही मोक्ष मिलेगा यह धारणा सही नहीं है। मोक्ष का अर्थ है, मुक्ति व आज़ादी हर उस चीज से जो दुख का कारण है और आंतरिक आध्यात्मिक उन्नति में बाधक है। अपने…