वेद मानव का सत्य
हे मानव!यह सत्य जान वेद मानव सम्पूर्ण सृष्टि से ऐसे संवाद स्थापित करता था जैसे मानव मानव के सम्मुख होकर करता है। उसकी पूर्ण आस्था थी कि उसका संदेश ब्रह्माण्डीय ऊर्जाएँ व शक्तियाँ अवश्य ही सुनती हैं और उसी के अनुरूप सभी क्रियाएँ एवं प्रतिक्रियाएँ होती हैं। समस्त ब्रह्माण्ड से वह एकत्व अनुभव करता था क्योंकि इस एकात्म के सत्य का उसे पूर्ण आभास था। सभी दृश्य व अदृश्य ऊर्जाओं और शक्तियों को वह देवता नाम रूपों से संबोधित कर उनका आह्वान कर अपनी उत्थान प्रक्रिया प्रशस्त करने के साधन जुटाने के लिए ऐसे करता था जैसे कि वे सब उसकी बातें समझते-बूझते हैं। वेद युग में यही उसका ध्यान था और ज्ञान व संदेश पाने का स्रोत था। 'गतिशील सूर्य हमें प्रसन्न करें, जल बरसाने वाला वायु हमें प्रमुदित करे, इंद्र व मेघ हमारी वृद्धि करें' इसी प्रकार 'विश्वेदेवा हमें पर्याप्त अन्न प्रदान करें जिससे कल्याण हो' इत्यादि। यहाँ…