अब युद्ध नहीं करेगा अर्जुन
हे मानव! सत्य, प्रेम व प्रकाश का प्रसार होता है झूठ, अंधकार व अपूर्णता का प्रचार होता है सत्य का धर्म स्थापित करने को मैं हर युग में प्रकट होता हूँ पर पहचानेगा तो कोई अर्जुन ही। प्रत्येक अवतार अपने से पहले वाले अवतार से भिन्न होता है और अपने युग की आवश्यकतानुसार कुछ नया करता है। जैसे महात्मा बुद्ध ने संसार त्यागकर अहिंसा और वैराग्य का कुछ और ही रूप समझाया जो श्रीकृष्ण की सांसारिक लीलाओं से सर्वथा भिन्न था। पर सब अपने समय के उन्नत सार्थक सशक्त व अनुकरणीय युगदृष्टा मानव हुए। सतयुग में पूर्णता-अपूर्णता, त्रेता युग में पाप-पुण्य, द्वापर में धर्म-अधर्म का युद्ध होता है। बुद्ध के समय अशोक ने अहंकारयुक्त सत्ता विस्तार का युद्ध किया, जीता मगर अंतर्मन के सच से हार गया। अब कलियुग में समय है सच और झूठ के संघर्ष का। विज्ञान के तथ्य ने वेद के सत्य से कटकर अपनी सारी शक्ति…