अन्तरात्मा की आवाज सुन कर्मरत होओ
हरिओउम् तत्सत्हे मानव!अब समय आया है चैतन्यता एवं जागरूकता पर काम करने का। चैतन्यता की पहचान है अपने अन्दर झांककर बिल्कुल शून्य होकर आवाज सुनो बाह्य चैतन्यता से मुक्त होकर। अभी मन, बुद्घि, चैतन्यता की आवाज में अन्तर करना मानव भूल गया है। सदियों से सोई हुई आत्मा की आवाज (युग चेतना की आवाज) को जगाने की साधना का समय प्रारम्भ हो गया है। जब आप पूर्णतया शान्त हैं अर्थात निर्लिप्त होकर अर्न्ततम् स्थिति तक पहुंचते हैं तब जो प्रतिध्वनित हो वही आत्मा की आवाज है। फिर भी मानव यह नहीं समझ पाता कि यह मन बुद्घि की आवाज है या आत्मा की आवाज है। इसके लिए आरम्भ में कुछ कठिन साधना करनी होगी जब लगे आपके अन्दर से कुछ सन्देश व निर्देश उठे हैं तो उनको ब्रह्मवाक्य समझकर उनका पालन करो इस प्रकार पालन करने पर यदि वह विवेक जगाते हैं वातावरण शुद्घ व आनन्दमय बनाते हैं तथा आपको…