मेरे मन वाला हो जा
ओ मानव ! तू प्रभु के मन वाला हो जा। यही तो परम की इच्छा है पर तू तो प्रभुता प्राप्त - गुणयुक्त - मानव को भी अपने हिसाब से ही चलाना चाहता है। प्रभुता को अपने मन या अपनी ही युक्ति-युक्त बुद्धि से चलाने वाले या पकड़ने वाले मानव के जीवन से प्रभु फिसल जाते हैं, निकल जाते हैं। गीता में श्रीकृष्ण का वचन है, 'तू मेरे मन वाला हो जा'। यह तो मीन - मछली - जैसा खेल है। मछली को ढीला पकड़ो तो भी हाथ से फिसल जाएगी, कसके पकड़ो तो भी रपट जाएगी। पकड़ एकदम सही दबाव वाली व सटीक हो तो ही बात बनती है। प्रभु के या उस परम सत्ता के मन वाला होने के लिए यह जानना ही ज्ञान है कि प्रभु के मन में क्या है। उसकी सृष्टि, सृष्टि की सर्वश्रेष्ठ अनुपम कृति मानव के अस्तित्व व मानव जीवन का प्रयोजन क्या…