पूर्णता की सच्ची साधना
हे मानव ! पूर्णता की सच्ची साधना प्रत्येक पल को सम्पूर्णता से जीने में ही निहित है। सच्ची साधना वही है कि जो भी कार्य आपको प्रभु कृपा से प्राप्त हो गया उसे ही अपनी पूरी शारीरिक व मानसिक क्षमताओं से निभाना और पूर्णता की ओर ले जाना। पूरे मनोयोग से किया गया कार्य ही बड़ाई व प्रभुता पाता है। जब भी कोई नया आविष्कार या कार्य सम्पन्न होता है तो वो इसी बात का साक्षी है। सारा ज्ञान-विज्ञान सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में सर्वत्र व्याप्त है और मानव इसी असीमित सत्ता का छोटा-सा अणुरूप, अनुकृति है। ब्रह्माण्डीय तत्वों का ही तो पुंज है मानव। तो जो ज्ञान ब्रह्माण्ड सँजोए है वही मानव मन-मस्तिष्क में अदृश्य रूप में संचित है। जो सौर ऊर्जाएँ व ब्रह्माण्डीय शक्तियाँ चारों ओर हैं वही सब मानव में भी हैं। पर पूर्णता की साधना करने वाला जो मानव ध्यान की शक्ति पूर्णता केन्द्रित कर ब्रह्माण्ड में व्याप्त…