छोटा-सा ज्ञान

हे मानव ध्यान से सुन अपने अस्तित्व की गाथा इसका छोटा सा ज्ञान क्यों तेरी समझ नहीं आता मानव एक छोटा सा अणु ब्रह्माण्ड का उसी से जुड़ पूर्णता पाता अलग हो जाता अपना स्वतन्त्र अस्तित्व बनाता पूर्णता के मंत्र से ही उत्पत्ति पाता क्या ब्रह्माण्ड का घट जाता सारे शरीर में व्याप्त अणुओं का अगणित गणित चलाता अपना ही व्यवहार जहाँ है ही नहीं कोई व्यापार बस पूर्णता से पूर्णता प्राप्त कर पूर्ण से अलग होकर भी तू तो हो सकता केवल ध्यान से ही पूर्णता से कृतित्व में रत तभी तो होता है तेजोमय प्राणतत्व तभी तो होता है तेजोमय प्राणतत्व यही है सत्य प्रणाम मीना ऊँ

स्वयं उत्तरदायी

अपनी सफलताओं-असफलताओं के उत्तरदायी तुम स्वयं हो, अन्य कोई नहीं। तुम स्वयं ही हो अपनी परिस्थिति के जिम्मेदार अगले पिछले जन्म को किसी मानव या मानवी को किसी परिस्थिति को दोष मत दो किसी को दोष मत दो कार्य अपनी बुद्धिनुसार ही करते हो। फल अच्छा मिले तो खुद को जिम्मेदार ठहराते हो। फल बुरा मिला तो कारण अपने से बाहर खोज लेते हो! अपनी बुद्धि प्रयोग करके तर्क करके स्वयं के सत्य को स्वीकारो तभी सत्य को जान पाओगे !! प्रणाम मीना ऊँ

प्रणाम माँ सरस्वती कर प्रकाश, दे सन्मति

सरस्वती नमस्तुभ्यम् वरदे कामरूपिणीम् विश्वरूपी विशालाक्षी विद्या ज्ञान प्रदायने। माँ सरस्वती नमन वंदन, कामरूप सृष्टि उत्पत्ति की समग्रता में व्याप्त विश्वरूपिणी, सर्व विद्यमान, दूरदर्शिता से परिपूर्ण विशाल नेत्रों वाली विद्या और ज्ञान का वर दें। ब्रह्म की सृष्टि को पूर्णता तक ले जाने का मार्ग सब प्रकार की विद्याओं और कलाओं से प्रशस्त करने वाली देवी शारदे सदा ही वंदनीय हैं। दिन के आठों पहर में एक बार प्रत्येक मानव की वाणी में सरस्वती अवश्य ही प्रकट होती है। पर संसार में लिप्त मानव बुद्धि उसे समझ ही नहीं पाती। कई बार अनुभव तो सबको होते हैं कि किसी ने कुछ कहा और वह सच हो जाता है पर इस क्षमता को पूर्णता देना ताकि वाणी में सदा ही कमलासना का वास रहे यह केवल कस्तूरीयुक्त माँ सरस्वती की सतत् साधना व आराधना से ही सम्भव है। इनका वाहन हंस है। हंस की विशेषता है कि अगर दूध और पानी…

परम सत्य

मानव सेवा सबसे बड़ी सेवा सबसे बड़ी पूजा सत्य जगत सत्य ब्रह्म सत्य का सत्य मैं ब्रह्म हूँ जो यह जानता है वह यह होता ही है पूज्य ज्ञानियों पुजारियों योगियों को यह पसंद नहीं कि साधारण मानव यह जाने! इस ब्रह्म को जाने स्वयं को जाने यही सत्य है वेदांतियों अन्य माननीय स्वामियों- इन सबकी मैं आभारी हूँ कोटि-कोटि धन्यवाद करती हूँ कि यह सब मेरी उस सीढ़ी के पाए बने जो परम सत्य परम सत्य को जाती है। प्रणाम मीना ऊँ

शोक का कारण

शोक का कारण क्या है? न जानना ही अज्ञानता हैइसका अनुभव स्वयं से ही होता है।अपने आपसे प्राप्त दुख-कष्टï सब तपस्या के ही रूप हैं।समबुद्धि दुख-सुख में सम संतुलन समबुद्धि-समबुद्धि को सिद्ध करने से जन्म-मरण भय से मुक्ति!! एक निश्चय वाली बुद्धि ही प्रभु प्राप्ति का मार्ग आसक्ति से उत्पन्न अनन्त बुद्धि वाली बुद्धि एक निश्चय वाली बुद्धि हो जाए। इसके लिए :- सकाम कर्मों से रहित राग द्वंद्वों से रहित परमात्मा तत्व में स्थित हो जा निरंतर रहने वाले परमात्मा तत्व में स्थित हो जा! हो जा रे मानव कोई छोटा मार्ग, शार्टकट, नहीं होता आत्मानुभूति का प्रणाम मीना ऊँ

तथ्य

दुनियाभर का साहित्य पढ़ने के बाद यह समझ आया तथ्य-सच तो मुट्ठी भर है बस चार बात समझनी हैं जिसमें दो भूलनी है दो याद रखनी हैं भूल जाओ तुमने किसी का कुछ अच्छा किया भूल जाओ किसी ने तुम्हारा बुरा किया याद रखो सब कुछ निश्चित है पहले से ही, तो अहम् कैसा मृत्यु सत्य है तो लगाव कैसा जि़न्दगी पुल है गुजर जाओ घर न बनाओ यही सत्य है यहीं सत्य है प्रणाम मीना ऊँ

प्रणाम

प्रणाम प्रेम और प्रकाश के लिए प्राणों का विनम्र प्रयास है। प्रणाम विस्तार है- सत्य जागृत और सुंदर आत्मा का। अपने जीवन के प्रत्येक दिन के नवप्रभात में सही मानव का होना आनन्द करो। रूपान्तरण में आओ। - कर्म धर्म है - प्रेम कभी विफल नहीं होता - सत्य की सदा जय है जोत : एक रोशनी जो सब ब्रह्माण्डों से परे है करोड़ों सूर्यों से भी तेजवान है प्रकाश से भी वेगवान है सम्पूर्ण सृष्टि उजागर कर दे वह तो तेरे अंदर ही है रे मूर्ख मानव तेरे मन में ही है वह ज्योति जो सब रोशनियों की सरताज है देख समझ पहचान - तू ही प्रभु तू ही प्रेम प्रेम ही प्रभु ओ प्रभु के अंश बन जा प्रभु बन जा रोशनी कर दे जग रोशन। नई आशा जगी है मन में पूर्ण विश्वास है मानवता में। आएगा वही सवेरा, जो होगा मेरे ख्यालों का बसेरा जला ज्ञान…

प्रणाम का माना मार्ग

एक कर्म - कर्त्तव्य कर्म एक धर्म - प्रेम एक पथ - सत्य एक लक्ष्य - आत्मानुभूति वास्तविकता पूर्ण मानव होने का आनन्द - परमानन्द नया युग नया युग नई बात अब न चलेगी झूठ की घात करनी होगी ऐसी भावी पीढ़ी तैयार जो करे अपूर्णता पर वार रहा समय निहार कहे कण-कण पुकार हो धरती माँ का शृंगार फैले सत्य प्रकाश और प्यार यही तो है प्रणाम का आधार प्रणाम मीना ऊँ

मीना की चेतना

मनु मेरे लिखने का नाम मेरे अंतर के लेखक का नाम मनु मेरे अंतर की आत्मानुभूति का नाम मीना...' मेरे सांसारिक संबोधन का नाम मीनाजी यही है मीना ऊँ मीना ऊँ अनुभूति योग अनेक अव्यवस्थाओं को व्यवस्थित रखने की चेतना का नाम ही मीना है जो पूर्णता का नित्य प्रवाह है शान्त क्रियाशील व सत्य समर्थ है शिक्षा वेद की ब्रह्माण्ड ज्ञान की औ' प्रकृति के विधान की स्वयं युग चेतना की परम कृपा से पाकर जानकर जीकर ब्रह्मï तत्व जागृत कराकर पाया परम बोधि से योग का परमानन्द मीना मानवी जीवात्मा ने मीना मानवी ने ब्रह्मत्व पायो यही सत्य है प्रणाम मीना ऊँ

सबकी आत्माओं को आह्वान

आओ मिलकर करें सृजन जान लो सब आया संदेशा माई का जो सुनेंगे पाएँगे जीवन का दर्शन ज्ञान ध्यान वेद विज्ञान सत्य प्रेम औ' कर्म का महामंत्र जो देगा शक्ति अनंत करने को स्थापित प्रकृति का सत्य मानव का कृत्य इस धरा पर सुखदां वरदां शस्य श्यामला वसुंधरा पर 'या किसी से कुछ सीखो या किसी को कुछ सिखाओ यही जीवन का ज्ञान है' सत्य के पाँच तत्व पूर्ण प्रणव प्रमाण प्रत्यक्ष प्रणाम यही सत्य है यहीं सत्य है प्रणाम मीना ऊँ