छोटा-सा ज्ञान
हे मानव ध्यान से सुन अपने अस्तित्व की गाथा इसका छोटा सा ज्ञान क्यों तेरी समझ नहीं आता मानव एक छोटा सा अणु ब्रह्माण्ड का उसी से जुड़ पूर्णता पाता अलग हो जाता अपना स्वतन्त्र अस्तित्व बनाता पूर्णता के मंत्र से ही उत्पत्ति पाता क्या ब्रह्माण्ड का घट जाता सारे शरीर में व्याप्त अणुओं का अगणित गणित चलाता अपना ही व्यवहार जहाँ है ही नहीं कोई व्यापार बस पूर्णता से पूर्णता प्राप्त कर पूर्ण से अलग होकर भी तू तो हो सकता केवल ध्यान से ही पूर्णता से कृतित्व में रत तभी तो होता है तेजोमय प्राणतत्व तभी तो होता है तेजोमय प्राणतत्व यही है सत्य प्रणाम मीना ऊँ