Stop Fiddling with Nature

All seer scientists, Visionaries and revolutionaries receive the power, force and strength need for their respective causes through Natural processes only. -Pranam Meena om

आत्मानुभूति व धार्मिकता

अब समय आ गया है कि आत्मानुभूति (स्पिरिचुएलटी) व धार्मिकता का अंतर स्पष्टï किया जाए। धार्मिकता मनुष्यों की बुद्धि से पनपा अध्यात्मवाद है, पंथ है, जिसे तोड़ा-मरोड़ा जा सकता है, जबकि आत्मानुभूति सच्चे मानव को प्रकृति द्वारा अनुभव कराई प्रकृति के ही नियमों वाले शुद्ध धर्म की सच्चाई है। कलियुग में धार्मिक गुरुओं व तकनीकों की भरमार ने सब गड़बड़ घोटाला कर दिया है। पर यह स्थिति भी प्रकृति की ही देन है ताकि सबके तीनों गुण रज-तम-सत खूब खेल लें तभी तो मानव गुणातीत होकर अपना सत्य जानकर सतयुग की ओर अग्रसर होगा। आत्मानुभूति (स्पिरिचुएलटी) है शरीर, मन-मस्तिष्क व आत्मा के विज्ञान का ज्ञान। मानव का पूरी सृष्टि व प्रकृति से क्या सम्बन्ध है उसमें उसका पात्र क्या है और कैसे सुपात्र बनना है। यही तो वेद है जो सनातन है। सच्चे आत्मानुभूत-स्पिरिचुएल मानव की कोई छवि नहीं होती वह क्षण में जीता है न भूत में न भविष्य…