सत्य के प्रत्यक्ष प्रमाण सा प्रतीक प्रणाम का
प्रतीकों की अपनी एक अनोखी है दुनिया जो कि कुछ विशेष चिह्नों, बिन्दुओं, रेखाओं व रंगों में पूरा ग्रंथ समाए हुए होती है। प्रतीक एक सोच या विशेष विचारधारा की उत्पत्ति होते हैं। जो दिमाग से सोचकर या विशेष कला की विद्या ध्यान में रखकर नहीं बनाए जा सकते। यह अपने अंतर के सत्यभाव से प्रस्फुटित होते हैं। यह अपने आपमें पूरा संदेश लिए होते हैं जिसे वे ही समझ पाते हैं जो उस प्रतीक वाली विचारधारा के प्रवाह से जुड़े होते हैं। इनका प्रभाव सम्पूर्ण होता है जैसे गदा देख हनुमान या भीम का विचार आता है। सुदर्शन चक्र विष्णु की पूर्ण शक्ति का प्रतीक है और श्रीकृष्ण के अमोघ आयुध का ध्यान कराता है। बाण से राम का और त्रिशूल से दुर्गा का, डमरू से शिव का स्मरण हो आता है। चूहे से श्रीगणेश का इस प्रकार अनेकों प्रतीक हैं। इसके साथ-साथ देवी-देवताओं के विशेष स्वरूप, अन्य प्रतीकों…