ढोंग-पाखंड
किसी को प्रभावित करना या करने की चेष्टï करना, पाखंड, ढोंग दिखावट व झूठ है। शायद कोई आपसे प्रभावित हो भी जाए पर ऐसे प्रभावित कर देना अधिक देर नहीं ठहरता, तो यह भी एक प्रकार का ऊर्जा का हनन व प्रदूषण है। जब हम दूसरों को प्रभावित करने का प्रयत्न करते हैं अपने व्यक्तित्व बुद्धि चातुर्य या किसी अन्य उपाय से ताकि प्रभावकारी छाप छोड़ें तो हम अपने ही बनाए मकड़जाल में उलझ जाते हैं जो कि उत्थान के लिए बहुत ही विनाशकारी है। जब हम प्रभाव डालने का प्रयत्न करते हैं तो हमारी ऊर्जा व्यय होती है सारी शक्ति मनोनुकूल प्रभाव उत्पन्न करने में लग जाती है। हम एक कृत्रिम व्यक्तित्व बना लेते हैं अपने आभामंडल में जो कि हमारा सत्यरूप नहीं होता, ओढ़ा हुआ ऐसा बनावटी स्वरूप, व्यक्तित्व जिसे बुद्धि भी नहीं जानती। जब हमारी सारी शक्ति इस प्रभावित करने वाले व्यक्तित्व को बनाने में लग जाती…