ज्ञान की सार्थकता तो
सत्य जानकर
सत्य होकर
सच्चिदानन्द में विलय होने में है
परमानन्द को पाकर
सम्पूर्ण ज्ञान द्वारा परमानन्द
फैलाना है
कर्म औ’ पूर्ण शक्ति से
ज्ञान का प्रकाश फैलाना ही धर्म है
सत्य ज्ञान प्रवचन करना
नहीं सिखाता है
सत्य ज्ञान तो सत्य कर्म का
वो रास्ता बताता है
जिसे जीकर अनुभव कर
सत्यमय होना होता है
सत्यमय होकर ही
सत्य बताना होता है
यही सत्य है
यहीं सत्य है
- प्रणाम मीना ऊँ