जब हम अलग हो जाते हैं, तो हमारा व्यवहार सार्वभौमिक होता है, उसी के साथ
सब लोग। हमेशा इस अवचेतन भावना से निर्देशित कि हम
अलग होने का मतलब यह नहीं है कि हमें उदासीनता से व्यवहार करना चाहिए।
हमें अपना स्वाभाविक स्व होना चाहिए - प्रेम करुणा और चिंता से भरा हुआ
हमारे अपने और दूसरों के प्रति। एक स्तर पर कोई अंतर नहीं है
तुम्हारा और मेरा ...
यही सच्चाई है।