बड़ी तपस्या के बाद ही एक ऐसा भगवद्स्वरूप व्यक्तित्व उभरता है जिसके दर्शन में शीतलता प्रत्येक क्रिया में मधुरता वाणी में ओज और उपस्थिति में अद्भुत तेज होता है यही सत्य है यहीं सत्य है
ताल और संतुलन सब कुछ जीवन का सार है। इन
अनन्त संतुष्टि दे। प्रकृति लयबद्ध है इसीलिए यह है
अनन्त। प्रकृति सबसे अच्छी शिक्षक है। यह हमेशा के लिए सुखद है
प्रकृति के साथ हो सकता है। इंसान प्रकृति के सृजन तो यही कारण है कि एक व्यक्ति नहीं कर सकता
हमेशा एक सुखद व्यक्तित्व हो। प्रकृति कभी नहीं बासी हो जाता है, यही कारण है कि एक करता है
व्यक्ति बासी हो जाता है अभी तक कई फाई एल्ड्स का पता लगाया जाना बाकी है। एक जीवन होता है
पर्याप्त नहीं लगता! !
यही सच्चाई है।