सत्य ही निर्लेप और निर्मल है, सर्वव्यापक है, सर्वशक्तिमान है। अब सत्य मानवों को एकजुट होना ही होगा। भारतीय जनमानस को, भारत के गौरव को पुनर्जीवित करने और सशक्त राष्ट्र बनाने की दिशा में आगे आना होगा। भारत सनातन शक्ति द्वारा संसार को सत्य मार्ग दिखाने की क्षमता रखता है। एक पूर्णतया सत्यमय मानव की आत्मशक्ति ही बहुत है रूपांतरण की धारा बहाने को सत्यमेव जयते की प्रमाणिकता सिद्घ करने को। प्रणाम साहित्य की शब्द संयोजनाएं केवल साहित्यिक रचनाएं ही नहीं वरन् क्षण-क्षण का प्रमाण हैं। इसमें ज्ञान, भक्ति, प्रेम व कर्म के संतुलित समन्वय की अभिव्यंजना है, यही इस युग के उत्थान का सही मार्ग है। कर्म की बेला प्रारम्भ हो चुकी है। अब समय आ गया है कि मानव यह सत्य समझे। कैसे हो जाता है मानव ही सम्भवामि युगे-युगे, सत्यम् शिवम् सुंदरम्। यही प्रणाम साहित्य का सत्य, सत्यात्मा का सत्य है।
- प्रणाम मीना ऊँ