उत्थान हेतु पुरानी मान्यताएँ बदलो

पुरानी मान्यताएँ मापदंड बदलने होंगे
उत्थान के लिए।
भय को बदलो प्रेम में
नाटकीयता को बदलो स्वयं सिद्धता में तथ्य सत्य में
नियंत्रण को विश्वास में
स्वयं की आलोचना को अपनी शक्ति में
मानसिक शक्ति विज्ञान, ज्ञान को विद्वता में
स्वतंत्रता आत्मनिर्भरता को एक-दूसरे की पूरकता में
बदले को माफी में, आत्म-प्रताड़ना प्यार के ज्ञान, विद्वता में
क्रोध को शक्ति में
प्रेम की कमी को दिव्य ज्योतिर्मय प्रेम में
घरेलू झगड़ों समस्याओं को ईमानदारी सत्य व्यवहार में
अपनी बात मनवानी हो तो अपने में विश्वास रखो।

सत्य जीओ ऊँ
वाणी में सत्यता का बल शक्ति तभी आती है जब स्वयं
सत्यरूप हो जाओ।
नकारात्मकता को क्रियाशीलता में
असहमति को कृतित्व में
छवि को शक्ति में आंतरिक मूल्यांकन में
जो तुम अपने लिए चाहते हो
वही दूसरों के लिए चाहो और करो
जो दूसरे तुमको समझते हैं वो
उनकी अपनी आंतरिक झलक है
दूसरे तुम्हें क्या समझते हैं
इसी से उनका आंतरिक स्वरूप
समझा जा सकता है।
यही सत्य है
!!

  • प्रणाम मीना ऊँ

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