एक कर्म – कर्त्तव्य कर्म
एक धर्म – प्रेम
एक पथ – सत्य
एक लक्ष्य – आत्मानुभूति वास्तविकता
पूर्ण मानव होने का आनन्द – परमानन्द
नया युग
नया युग नई बात
अब न चलेगी झूठ की घात
करनी होगी ऐसी भावी पीढ़ी तैयार
जो करे अपूर्णता पर वार
रहा समय निहार कहे कण-कण पुकार
हो धरती माँ का शृंगार
फैले सत्य प्रकाश और प्यार
यही तो है प्रणाम का आधार
- प्रणाम मीना ऊँ