मेरा ईश्वर

मेरा ईश्वर

हे मानव ! मेरा ईश्वर, आकाश वायु अग्नि जल व पृथ्वी समान सत्य है। प्रकृति समान जीवन्त और गतिमान है। आचार्य गुरु ऋषि ज्ञानी मानव जिस ईश्वर से भय खाते हैं डरते डराते हैं वह ईश्वर नहीं है। वह तो ब्रह्माण्ड समान अन्तहीन है प्रारम्भहीन है पूरी सृष्टि का स्रोत है आधार है। तर्क केवल खण्डन कर नकारात्मकता उपजाता है।
मैं परम इच्छाशक्ति हूँ …ऊँ
परम जिज्ञासा हूँ …ऊँ
परम प्रेम हूँ ..ऊँ
परम सत्य हूँ ..ऊँ
परम कर्म हूँ …ऊँ
परम प्रकाश हूँ …ऊँ

जो इन सबका स्रोत है वही मेरा सत्य सनातन नित्य निरन्तर शाश्वत ईश्वर है। तुम अपना ईश्वर स्वयं प्रकट कर सकते हो। प्रकृति ने प्रत्येक मानव को यह क्षमता दी है, ईश्वर साक्षात्कार की। प्रकट कर लो अपना ईश्वर। हो सकता है कि वो मेरे द्वारा जाना, मेेरे अन्दर में स्थापित ईश्वर से भिन्न हो, क्या अन्तर पड़ता है या क्या अन्तर पड़ेगा। अपने में दृढ़ विश्वास रखना ही अपने ईश्वर को प्राप्त कर लेना है। उसी को टिकाए रखना ही सच्ची साधना है।

ही सत्य है।
यहीं सत्य है।

तो हे मानव!
अपने ऊपर कर्म करने की साधना कर
प्रभु का संदेश व निर्देश जान समझकर उच्च आदर्शों को
स्थापित कर
अपने भरोसे दृढ़ रहकर अपना ईश्वर खुद बना ले
अपने अस्तित्व का सत्य जान मानव जीवन सार्थक कर ले
अपना सत्य जानोगे तभी तो सत्य को जान पाओगे।

  • प्रणाम मीना ऊँ

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