जागो, हे मानव !

आओ एकजुट होओ
प्रकाश का अवतरण
चैतन्यता के सुप्रभात का वर्ष

भविष्य का सत्य- समय आ पहुँचा है सच्ची आत्मानुभूति के मार्ग के प्रशस्तीकरण का, मानव सत्ता की वास्तविकता स्थापित करने का, मानवता के धर्म के प्रादुर्भाव का, एकत्व का आनन्द अनुभव करने का।
बदलो और बढ़ो- अपने अंदर से ही सत्य का प्रेम का प्रकाश प्रज्वलित करो। सच्चा ज्ञान व विवेक जब तुम अपनी ही आंतरिक सत्य सत्ता से जुड़ते हो तो स्वत: ही झरता है। भूतकाल के बोझ से अपने को खाली करो। सत्य प्रेम व प्रकाश के प्रसार के लिए :-
प्रत्येेेक भाव को दिव्य बनाओ
प्रत्येक सोच को ब्रह्माण्डीय बनाओ
प्रत्येक कर्म को पूजा बनाओ

प्राकृतिक नियम सृष्टि के कण-कण में सर्वविद्यमान है जो होनी की सम्पूर्ण व्यवस्था को पूर्णता व उत्कृष्टता से संचालित करता है। इस दिव्य विधान के सुयोग्य पात्र बनो।
नेममुद्यतम्, ऋग्वेद- नियमानुसार ही प्रकाश होता है। प्रकाशमय, Enlightenment, होने का – एक प्राकृतिक नियम है। समय की मांग के अनुसार ही प्रकाश होता है।
प्रणाम का उद्भव हुआ है-
– भारत की सत्यमयी आध्यात्मिक शक्ति जागृति को
– वेद व विज्ञान और विद्या व ज्ञान के विलय को
– मानव होने के आनन्द व गौरव की वास्तविक अनुभूति को।
प्रणाम की दूरदृष्टि है- पूर्ण रूपांतरण-व्यक्तिगत सामाजिक राजनैतिक आर्थिक व धार्मिक-जो प्रकृति के अविनाशी नियमों पर आधारित है।

  • प्रणाम मीना ऊँ

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