संपूर्ण सृष्टि प्रकृति का विस्तार है। यह ऊर्जा का एक द्रव्यमान है।
सब कुछ सिर्फ विस्तार है। जैसे कोशिका विभाजन। यूनिवर्स है
लगातार खुद से ही ब्रह्मांड का निर्माण। कुछ भी नष्ट नहीं होता
पूरी तरह से; अपशिष्ट भी ऊर्जा का एक स्रोत है। द टाइम व्हील - ‘ब्रह्म-
विष्णु-महेश 'निर्माण-पूर्णता-विनाश' - यह काम करता है।
यही सच्चाई है।