स्वयं के साक्षी बनो

अपने आप के साक्षी बनना सीखें, ताकि आप अपने मन के हस्तक्षेप के बिना अपने अंतर के परम तत्व, सच्चे अस्तित्व के संदेशों को पढ़ सकें। ऐसा करने से, आप स्पष्टता प्राप्त करेंगे। यह आसान नहीं है। इसे सिद्घ करने में कुछ महीने लग सकते हैं। फिर भी प्रारम्भ करना महत्वपूर्ण है। इससे आपको वर्ष के संदेश को भी समझने में मदद मिलेगी। इसलिए अब दूसरों को जांचना छोड़ दें और स्वयं को देखना शुरू करें। दूसरों को जांचते समय, आप निर्णयात्मक हो जाते हैं। अब खुद को जांचने का समय है। ताकि आप उन संदेशों को पढ़ सकें जो दिव्य आपके पटल पर लिख रहे हैं। और बहानों को बनाने, नकारने के लिए अपने दिमाग का उपयोग करने की अपेक्षा परम सत्ता सर्वोच्च को इन संदेशों का पालन करने के लिए, शक्ति प्रदान करने के लिए कहें। यह सब अपने साक्षी होने से शुरू होता है। प्रणाम मीना ऊँ

ऊर्जा का आह्वान

हमारे पास कार्य करने के लिए ज्ञान साधन और उपकरण हो सकते हैं, लेकिन शक्ति बल या सही मार्गदर्शन के बिना, हम कुछ भी प्राप्ति नहीं कर सकते। ब्रह्माण्ड में कोई ज्ञान नहीं है। उसमें केवल ऊर्जा होती है जो ज्ञान को प्रवाहित करती जाती है। सभी विकसित आत्माओं के विचार और ज्ञान वहां रहते हैं। इन ऊर्जाओं क आह्वान करके उन सब विकसित लोगों से जुड़कर, हम उनका शुद्ध ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। यही कारण है कि उनका आवाहन करना और पुकारना महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए यदि आप एक कलाकार हैं, तो देवी सरस्वती को प्रज्वलित करें। यदि चित्रकारी की आकांक्षा है तो प्रारम्भ में यह आपकी रेखाओं में कुछ बल लाएगा। फिर जैसे-जैसे अभ्यास बढ़ेगा, पकेगा यही रेखाएं जीवंत हो उठेंगी, रंग भी स्पंदित होने लगेंगे। यदि लेखन कौशल में सुधार लाना है, तो विकसित लेखकों से जुड़े रहें, और उनके विचार आपकी लिखित अभिव्यक्ति में…