ज्योति
प्रणाम जीवन के जिस परम संदेश के प्रसार को अवतरित हुआ है वो यह है कि मानव जीवन मुक्त होने के लिए ही बनाया गया है। प्रणाम वह सत्य बताता है उन सम्भावनाओं को उजागर करता है जिसमें मानव जीवन केवल रहने के लिए ही नहीं बना है। हमारा अस्तित्व बना ही है उत्कर्ष के उस बिन्दु पर पहुंचने के लिए जो कि सारी सीमाओं से मुक्त है। एक ऐसा विस्फोटक बिन्दु जहाँ से मानव की चेतना ब्रह्माण्डीय चेतना में विलय होकर एकत्व को प्राप्त होती है। मानव शरीर में निवास करती दिव्यता का, पूर्ण चैतन्यता प्राप्त करने के लिए, निरंतर सतत संघर्ष इस निर्णायक मुक्ति के लिए चलता रहता है। सभी कष्ट तभी तक हैं जब तक मानव इस बिन्दु तक नहीं पहुँचता। इस बिन्दु तक जीवित रहकर इसी जीवन में भी पहुंचा जा सकता है, इसके लिए मृत्यु या चिरन्तन समाधि की प्रतीक्षा क्यों। इस पूजास्थली, इस बिन्दु…