मीना अणु है जीवन गति

मनु का सत्य : भाग- 2 मनु अणु का विस्तार मेरे से बाद मेरे से पहले कुछ भी नहीं मेरा अस्तित्व बीच में तुम नाचो चहुँओर पास आकर फिर भागो दूर-दूर भागो, भागते रहो युगों-युगों से यह भागदौड़ तो तभी समाप्त होगी जब मुझ जैसे ही पारदर्शी पारे की तरह होकर मुझमें ही विलय हो जाओगे पूर्ण ज्ञान-विज्ञान है जो नहीं जाना गया वही अज्ञान है मीना अणु है अणु का विज्ञान है मीना अणु पूर्णता का तत्व है यही मनु का सत्य है यही सत्य है यहीं सत्य है प्रणाम मीना ऊँ

मीना अणु है

भाग 1 : मीना का विज्ञान प्रभु - Supreme - परम प्रभुता - Supremacy - परमता परम तत्व अणु तत्व - Essence of atom सत्य का तत्व - Essence of truth अणु - Atom-essence of whole & complete पूर्णता का तत्व अपनी पूर्णता में स्थिर मीना तुम मेरे चारों ओर आ जाते हो इर्द-गिर्द घूमते हो मेरे ही आसपास ऊर्जा पाकर लेकर फिर दूर भाग जाते हो अपने कर्म खेलने खिलाने को पर मेरी परिधि से दूर भी नहीं हो पाते हो बस पास आने और दूर जाने का क्रम चलता रहता है और चलता ही रहेगा जब तक तुम मेरी ही तरह पूर्ण होकर अपने में ही स्थित नहीं हो जाते अपना एक पूर्ण अस्तित्व बनाते अपना एक पूर्ण अस्तित्व बनाते जब वो हो जोओगे तो मेरे पारदर्शी पारे जैसे पारे जैसे अस्तित्व में समाकर पूर्ण योग विलय समरूप तो एक ही हो जाओगे एकाकार हो जाओगे मेरे से…

मीना की चेतना

मनु मेरे लिखने का नाम मेरे अंतर के लेखक का नाम मनु मेरे अंतर की आत्मानुभूति का नाम मीना ऊँ मेरे सांसारिक संबोधन का नाम मीना जी यही है मीना ऊँ मीना ओऽम् अनुभूति योग अनेकों अव्यवस्थाओं को व्यवस्थित रखने की चेतना का नाम ही मीना है जो पूर्णता का नित्य प्रवाह है शान्त क्रियाशील व सर्वसमर्थ है शिक्षा वेद की ब्रह्माण्ड ज्ञान की औ' प्रकृति के विधान की स्वयं युगचेतना की परम कृपा से पाकर जानकर जीकर ब्रह्मï तत्व जागृत करा कर पाया परमबोधि से योग का परमानन्द मीना नामधारी जीवात्मा ने मीना मानवी ने ब्रह्मï तत्व पायो यही सत्य है यहीं सत्य है प्रणाम मीना ऊँ

तुम जानो हो कृष्ण

ओ मेरे कृष्ण खुश हो ना अब तो तुम अब तो मुझे कभी भी छोड़कर नहीं जाओगे न तुम जा ही नहीं सकते इतनी तपस्या इतनी परीक्षाएँ ले लीं यही चाहते थे न तुम कि तुम्हारे ही धर्म सत्य प्रेम और कर्म पर टिकी रहूँ तुम ही हो जाऊँ कोई भी ऐसा पहलू जि़न्दगी का जिसे मैं छू न सकूँ कोई भी वातावरण जिसे मैं झेल न पाऊँ तुमने छोड़ा ही नहीं जानती हूँ ये सब तुमने ही मुझे भुगतवाया सब भुगतवाया सब कुछ करवाया तुम ही सारथी बन सब जगह ले गये फिराया घुमाया सारा का सारा संसार का कारोबार दिखाया उसमें रमा कर रहकर भी अछूता रखकर वैराग्य का पाठ पक्का कराया सत्य रूप बता दिया महाभारत में तुमने अर्जुन चुना यही पाठ पढ़ाने को जैसी उसकी योग्यता क्षमता थी वहीं तक उसे बताया समझाया जानती हूँ तुम मुझसे करते हो सबसे ज्यादा प्यार तभी तो दम लिया…

सत्य की सत्ता

सत्य की सर्वशक्तिमान सत्ता करोड़ों सूर्यों से भी तेजवान प्रकाश से भी वेगवान कर दे सम्पूर्ण सृष्टि उजागर वह तेरे ही भीतर तो है देख समझ पहचान धर के ध्यान सत्य ही आगे आएगा झूठ का भरम मिट जाएगा नई आशा जगी है मन में पूर्ण विश्वास है मानवता में आएगा वही सवेरा जो होगा प्रणाम के मन का बसेरा प्रभु के मन का सवेरा जय श्री कृष्ण आज मोरे अँगना श्याम रंग बरसे यही सत्य है यहीं सत्य है प्रणाम मीना ऊँ

आस्था

आस्था से हो सब मंगलमय ऐसा हो बदन कि कृष्ण का मंदिर दिखाई दे ऐसा हो जाए मन कि बस कृष्ण ही कृष्ण सुझाई दे खुले रक्खो मन के दरवाजे खोल दो दिलों के सब ताले सत्य प्रेम व कर्म में पूर्ण आस्था की चाबी से जीवन का यही तत्व सत्व बतावे प्रणाम यही सत्य है यहीं सत्य है

तेरा ही साया

हरे कृष्ण हरे मुरारी इंतजार जि़न्दगी बना प्यार बंदगी बना दर्द धड़कन बना जो तूने बनाया वो ही तो मैं बना तुझ-सा ही तो बना तुझ-सा क्यों कहूँ मैं तो तू ही तू तो बना अब और क्या बाकी रहा कृष्ण था कृष्ण ही रहा जो तूने सहा वही तो सहा जो तूने कहलवाया वही तो कहा तभी तो प्रणाम तेरा ही साया गीता प्रणाम हुआ यही सत्य है यहीं सत्य है प्रणाम मीना ऊँ

दामन का अँधेरा

जो बाँटता फिरता है जमाने को उजाले उसके दामन में लेकिन अँधेरा भी बहुत है क्या कमी की मेरे कृष्ण ने विश्व को उजागर करने में सत्य का आधार देने में अनन्त प्रकाश से प्रकाशित करने में मगर किसने देखा किसने जाना उनके दामन उनके मन का अँधेरा घना अँधेरा मैं जानूँ मैं समझूँ मैं भोगूँ उस दिल का घना अँधेरा जो लाए सवेरा यही सत्य है यहीं सत्य है प्रणाम मीना ऊँ

आँखमिचौनी

कोई किसी के लिए कुछ नहीं करता सब कुछ होता जाता है अपने आप सब अपना ही कुछ कर्म कर अपने ही कुछ गुन खेल बिछुड़ जाते हैं न मिलने की खुशी होती है न बिछुड़ने का गम होता है जब होता है बस प्रभु ही प्रभु हमदम सब लीला ही तो चलती है फैलना सिमटना आँखमिचौनी जैसा खेल पर तू तो चल अकेला चल अकेला तेरा मेला पीछे छूटा राही यहाँ किससे कहूँ मेरे साथ चल यहाँ सबके सिर से सलीब है यही सत्य है यहीं सत्य है प्रणाम मीना ऊँ

प्रकृति का संतुलन

प्रकृति का सुर-ताल सम्पूर्ण सम पर सम पृथ्वी घूमे चंद्र घूमे नक्षत्र घूमे नचाए सूर्य नाचने वाला नचाने वाला दोनों ही प्रकृति के नृत्य में रत लयबद्ध तालबद्ध सम पर सम अनुपम अलौकिक चंद्रग्रहण सूर्यग्रहण बस रहते अपने-अपने नृत्य में मग्न खूब घूमते रहें घुमाते रहें पर जब प्रकृति की बजे ताली समय की ताल पर सम पर सम तो एक सीध में आते फिर से घूम जाने को घूमने-घुमाने को फिर से एक लय में आने को जब बजे प्रकृति की ताली समय की ताल पर सम पर सम सटीक संतुलन प्रकृति का संतुलन यही सत्य है यहीं सत्य है प्रणाम मीना ऊँ