प्रभु का दीया
मैं आत्मा हूँ आत्मा ही तो हूँ आत्मा में पूर्णतया सन्तुष्ट आत्मा के गुणों में रमने वाली आत्मा से ही खेलने वाली बातें करने वाली औरों की भी आत्मा से ही सम्पर्क साधने वाली उसी को अनुभव कर उसी अनुभूति पर मग्न रहने वाली आत्मा के ही गुण विस्तीर्ण करने को यह शरीर प्रभु का दिया हुआ प्रभु का ही च्दीयाज् यही सत्य है यहीं सत्य है प्रणाम मीना ऊँ