वचन और प्रवचन
हे मानव!मानव यंत्र का सत्य जान। मानव चाहे जैसे भी गुणों में रमता हो प्रभु ने उसे एक ऐसी शक्ति दी है जिससे आठों प्रहर में एक बार अवश्य ही उसकी जिह्वा पर माँ सरस्वती उतरती है और जो भी उस समय कहा जाए वह सत्य होता है। इस पल का ज्ञान मानव बुद्धि को नहीं होता पर इसका अनुभव जीवन में सबको होता है कि कभी यूँ ही कही बात सच हो गई। इसे पूर्व सूचना या इंट्यूशन कह देते हैं। पर इस प्रक्रिया का विज्ञान क्या है और कैसे उसे इतना विकसित किया जा सकता है जहाँ वह वचन की तरह सुनिश्चित हो जाए। यह साधना व उद्यम कोई विरला युगदृष्टा ही कर सकता है। पर यह होता अवश्य है-यही प्रकृति का नियम है। जब मानव अपनी सोच, वाणी व कर्म में तारतम्य बना लेता है तो स्वत: ही इस रहस्य की परतें खुलने लग जाती हैं। बोले…