स्पष्टता

स्पष्टता चेतना की वृद्धि को दर्शाती है। यह हमारे अस्तित्व के निरंतर और प्रगतिशील, गहन, ऊंचा और चौड़ा होने से विकसित होती है। यह मन, शरीर और जीवन के सभी बंधनों को काटने से होता है। यह तब उतरती है जब हम अहंकार के मकड़जाल से मुक्त हो जाते हैं और आत्मा के प्रकाश का अनुभव करने लगते हैं। जब हम ब्रह्मांड में आत्मा की इच्छा और उद्देश्य को महसूस करते हैं और एकत्व के विचार में रहते हैं, तो स्पष्टता अपने चरमोत्कर्ष को छूती है। स्पष्टता के लिए हमें अपनी वास्तविकता का पता लगाने के लिए अपने भीतर ही खोजना होगा। इस उद्देश्य के लिए नए युग के आध्यात्मिक गुरुओं द्वारा विकसित और प्रचारित किए गए कई मार्ग हैं, लेकिन जो भी मार्ग अपनाया जाए उसके लिए विश्वास, साहस, दृढ़ता और समर्पण की आवश्यकता है। यह एकमात्र बल है जो मन को प्रकाशित कर सकता है, वास्तविकता को प्रकट…

हे मानव ! तमस की निद्रा से जाग !

इतने सारे बुद्धिमान मानव होते हुए भी विश्व विवेकहीन महामूर्खों की बस्ती बन कर रह गया है। एक ओर महामारी कोविड-19 कोरोना से लड़ने हेतु अंधाधुंध व्यय कर रहा है। सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त कर आधी अधूरी व्यवस्थाएं कर रहा है। उनको बचाने हेतु जिनका कि शायद मानव समाज देश और विश्व हित में कोई भी योगदान न हो। दूसरी ओर अपरिमित धन व्यय कर रहा है युद्ध के लिए आयुधों पर उनको मारने के लिए जो हृष्ट पुष्ट हैं नौजवान हैं विश्व का भविष्य हैं। ऊपर से पर्यावरण का सत्यानाश। वाह रे मानव! बलिहारी तेरी दोगली नीति की। मानव का इतना पतन परम बोधि व प्रकृति को कभी भी मान्य ना होगा प्रकृति अब अपने हिसाब से छंटनी करके ही रहेगी। प्रकृति के इस प्रकोप कोरोना को कम करने की प्रार्थना करना तथा सावधानी रखने का प्रयत्न करना तो स्वाभाविक व उचित ही है पर इसके साथ ही इस साधना…