आंतरिक शुद्धिकरण
सभी में एक नकारात्मक धारा होती है जो उनसे मूर्खताएं करवाती है। इस अंधकारमय तत्व के प्रति सचेत रहें । चेतन प्रयास करें, इसे बाहर फेंकने के लिए साधना करें। अंधेरे तत्व से प्रभावित होकर आचरण ना करने के बारे में सोचना अपने अंतर से इसेजड़ समेत उखाड़ना नहीं है। बस अपने आप को ध्यान से देखें कि कभी-कभी आपकीभावनाओं और विचारों में बहुत उदारता होती है और किसी समय निरीक्षण करें कि दूसरों की कमजोरियों को गलत शब्दों और अनाचारों को आप इंगित करते हैं। ये दोनों पूर्णतया विरोधाभासी व्यवहार और लक्षण हैं। जब आध्यात्मिक निर्बलता के समय, भीतर नकारात्मकता होती है तो बस यह स्वीकार करने की हिम्मत होनी चाहिए कि यह मेरा सत्य नहीं है। लगातार ऐसा करने से यह लक्षण निकल जाएगा। हमेशा परमात्मा के लिए आंतरिकआकांक्षा और ईश्वरीय कार्य के प्रति सचेत रहें। जब कोई अपने लक्षणों और ओड़े हुए व्यक्तित्व, जो कि अहम् की…