समय थोड़ा रह गया

मुझे प्रचार नहीं चाहिए प्रसार चाहिए मुझे अपने अनुयायी नहीं चाहिए माध्यम चाहिए जिनका दीया प्रभु मुझ माध्यम द्वारा जलवा देवें और वो माध्यम इतने सक्षम हों कि और आगे मानवता का दीया जला सकें आत्मा के उत्थान की आत्मा की आज़ादी की मशाल जलती रहे एक माध्यम थक जाए चुक जाए तो दूसरा माध्यम उसकी जगह ले ले कर्मयोगी चाहिए अंध भक्त नहीं मुझे स्वामी माता गुरु बन पाँव नहीं पुजवाने बहुत काम है आगे जाना है रुकना नहीं है। यही सत्य है !! प्रणाम मीना ऊँ

वेद – विज्ञान का संतुलन

परा ज्ञान - अपरा ज्ञान दोनों का दोनों का संतुलन ही पूर्ण ज्ञान ही सम्पूर्ण ज्ञान है अहम् सांसारिक विज्ञान के परे ही तिरोहित होता है। मैं सांसारिक विज्ञान की पकड़ से दूर हूँ मैं सदा से ही मानवाकृत विज्ञान से परे हूँप्रभु सम्पूर्ण ज्ञानमय हैआनन्दमय हैसुखमय हैपरमानन्द है प्रभु सम्पूर्ण ज्ञान हैं सम्पूर्ण धर्म हैं सम्पूर्ण वैराग्य हैं सम्पूर्ण यश हैं सम्पूर्ण शोभा हैं सम्पूर्ण ऐश्वर्य हैं ईश्वर ऐश्वर्य है ईश्वर है सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान सर्वज्ञाता वेद मन को ऐश्वर्यवान बनाता है। विज्ञान शरीर को ऐश्वर्यवान बनाता है दोनों का योग ही सम्पूर्ण योग है वेद प्रकृति का दिया ज्ञान है विज्ञान है सत्य ज्ञान है विज्ञान मानव बुद्धि द्वारा जाना गया तथ्य ज्ञान है मिले सुर मेरा तुम्हारा तो सुर बने हमारा दोनों के योग से बने महामानव ईश्वर स्वरूप यही सत्य है !! प्रणाम मीना ऊँ

पूर्णता का मंत्र

मैं मीना शरीर में पूर्ण हूँ ऊँ प्रणव हूँ ऊँ प्रत्यक्ष हूँ ऊँ प्रमाण हूँ ऊँ प्रणाम हूँ ऊँ वेद हूँ विज्ञान हूँ वेद विज्ञान मिलन हूँ मैं मीना शरीर में युग चेतना हूँ समिष्टि का संकीर्तन हूँ समय की किताब पर श्री कृष्ण का हस्ताक्षर हूँ मैं वही तो हूँ यही सत्य है !! प्रणाम मीना ऊँ

होगा कोई परम हंस

होगा कोई परम हंसजिससे जुड़े मेरे मानस का हंस उड़ने को तैयार हो जगत उजियार देखे संसार आ गया मेरे मानस का हंस पाकर दुर्गा शक्ति हुई उत्पत्ति अब ना नष्ट होगी सरस्वती की सम्पत्ति परमहंस परमज्ञानी ही बाँचेंगे जाँचेंगे - मेरी वाणी दत्तात्रेय - ज्ञान ध्यान विवेक त्रय दत्ता ब्रह्मा : महासरस्वती विष्णु : महालक्ष्मी महेश : दुर्गेश्वरीमहाकाली ऊर्जाओं से युक्त मानस का हंस !! प्रणाम मीना ऊँ