सर्वस लेके हसत हसत रथ हाँक्यो, सूरदास
प्रभु ने सब कुछ ले लिया जो मुझमें था और अब हँसते-हँसते खुशी से मेरा रथ हांक रहे हैं खाक का एक ज़र्रा मीना रास्ता भी यहीं मंजिल भी यहीं सारी तलाश खत्म हो गई रास्ता ही मंजिल बन गया मंजिल ही रास्ता बन गई मीना न कहींं गई न आई, न आई न गई यहीं की थी यहींं रही और यहीं रह गई मिट्टी मिट्टी में मिल गई कोई कर्मयोगी - कोई सत्य योगी - कोई प्रेम योगी फिर छान लेगा इस मिट्टी को और ढूँढ़ ही लेगा मीना को मीना के होने को उसके जीने को उसके मरने को उसके तुममें समाने को तुम तुम्हीं तो हो सब जगह सब तरफ जली एक शमा अपना ही दिल जलाने कोताकि दुनिया को रोशनी दे सके !!यही सत्य है !! प्रणाम मीना ऊँ