सर्वस लेके हसत हसत रथ हाँक्यो, सूरदास

प्रभु ने सब कुछ ले लिया जो मुझमें था और अब हँसते-हँसते खुशी से मेरा रथ हांक रहे हैं खाक का एक ज़र्रा मीना रास्ता भी यहीं मंजिल भी यहीं सारी तलाश खत्म हो गई रास्ता ही मंजिल बन गया मंजिल ही रास्ता बन गई मीना न कहींं गई न आई, न आई न गई यहीं की थी यहींं रही और यहीं रह गई मिट्टी मिट्टी में मिल गई कोई कर्मयोगी - कोई सत्य योगी - कोई प्रेम योगी फिर छान लेगा इस मिट्टी को और ढूँढ़ ही लेगा मीना को मीना के होने को उसके जीने को उसके मरने को उसके तुममें समाने को तुम तुम्हीं तो हो सब जगह सब तरफ जली एक शमा अपना ही दिल जलाने कोताकि दुनिया को रोशनी दे सके !!यही सत्य है !! प्रणाम मीना ऊँ

गंगा

ऊँ नम: शिवाय ऊँ शंकराय नम: मधुर मनोहर राह सब इसी पर चलो गंगा तुम्हारा जल तुम्हारी छाती से बहता दूध है जिसे पीकर यह बच्चा बड़ा होकर तुम्हारे दूध का कज़र् अदा करेगा। सिद्ध भजो ऊँ फैलाऊँ दिग दिगंत इतनी ऊँचाई पर पहुँचकर आगे कहाँ… दूसरों के लिए जीना होगा। दूर करूँ अज्ञान…. बन उदाहरण सत्य प्रेम कर्म व प्रकाश का ईश्वर प्राप्ति के बाद यही मार्ग है, यही है मार्ग काल सबको नष्ट कर देता है… यह सर्वविदित सत्य है। प्रभु मुझे निर्भय करें मृत्यु भी एक साधना है प्रभु शक्ति दो तुम्हारे काम आ सकूँ सभी धर्मों को मैंं स्वीकार करती हूँ मेरी आत्मा मुझमें ही समा गई है ! यही सत्य है ईश्वर प्रणाम मीना ऊँ

नया इतिहास

जिसने ज्ञान दिया ध्यान दिया मनुस्मृतिका वरदान दियासरस्वती का प्राण दिया परमानंद तक पहुँचाकर मोक्ष न देकर वापिस कियाइस असार संसार मेंलीला करने कोवही देगा कर्मभूमिकर्मयोगी और शक्तिअपना कार्य आगे बढ़ाने को रचूँ नया इतिहासतेरी दया हो जाए जो दाताहर नियति बन जाए !! प्रणाम मीना ऊँ

देखो-देखो जो वो दिखाए

दृष्टा बनने की कला सिद्ध करो धारणा तो हो ही जाएगी। सही कर्म, सही साँस लेना - धीरे-धीरे - लयगत गहरी - सामंजस्यपूर्ण नियमितफिर देखनानिरीक्षण + परीक्षण पूर्णतया आरामदायी तथा आनन्ददायी वातावरण में अपने अन्दर जाओ और चेतना की अन्तरतम परतों को छुओ। आत्म सुझाव प्रकृति की शक्तियाँ स्वर रंग और गंध आपको शारीरिक और मानसिक स्तरोंं के ऊपर ले जाते हैं जहाँ आत्मिक शक्तियों का प्रस्फुटन होता है जिससे आपकी सभी शक्तियाँ बढ़ती हैं - एक आनन्ददायी उत्कर्ष तक जिसने ऊँ और प्राणायाम सिद्ध कर लिया उसने सब सिद्ध कर लिया।यही सत्य है !! प्रणाम मीना ऊँ

ज्ञान क्या है

सब नश्वर है बस ईश्वर अविनाशी है ईश्वर श्वर स्वर स्वर ही ईश्वर है। सब नश्वर है यह जानकर वैराग्य रखना जो कुछ भोगा जीया पाया सबके तुम खुद जिम्मेदार हो। अब ये बातें जानते तो सब हैं पर जीता कौन है जो पूर्ण समर्पण से यह सब पूजा की तरह करता है वही तत्व ज्ञानी है जो यह सब जानता है वह बस ज्ञानी मात्र है यही सत्य है। प्रणाम मीना ऊँ

दीया ज्ञानोदय प्रतीक

दीया जलाना ही काम है मेराकाम है मेरा प्रभु द्वारा सौंपा गया। करूँ दूर अँधियारा पर मैं कौन हँ दूर करने वाली !तेल बाती सब तो है तेरे अन्दर हे मानव ! ज्योति जला भी दी मैंने प्रभु आज्ञा से, तो भी उसे निरन्तर जलाए रखने के लिए जतन तो तेरा अपना ही होगा न ज्योति निरंतर जलती रहे तो विषय विकारों की आँधियों से बचाना, ज्ञान ध्यान का तेल डालकर दीया बुझने न देने का पुरुषार्थ तो तुझे स्वयं ही करना होगा !! प्रणाम मीना ऊँ

परम शक्ति स्रोत

उस परम शक्ति स्रोत को अन्तरमन से धन्यवाद। जिसने कृपा कर सही माध्यम स्वत: ही पहुँचा दिए और तंत्र ज्ञान दिया।श्री शिव चरणों में ज्ञान योगी प्रणाम ध्यान योगी धन्य हुई प्रभु महायोगी जो स्वयं जय शिव शंकर स्वयंभू हैंश्री शिव सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के तंत्र ज्ञानी योगेश्वर तपीश्वर रक्षक संहारक ने मुझे माध्यम बना लिया अपने तत्व ज्ञानतंत्र ज्ञान और प्रकाश बाँटने के लिए स्वत: ही संयोग जुड़ा दिए इससे अच्छा फल और क्या होगा उस परम स्रोत को पूर्ण आत्म समर्पण का सब कुछ स्वत: ही चला आया, मेरे मार्ग में मेरे अन्तर में यही सत्य है !! प्रणाम मीना ऊँ

मैं विज्ञान हूँ

ज्ञान विज्ञान का परा और अपरा का मैं पवित्र चेतन आनन्द हूँ सृष्टि का अनन्त नृत्य मैं कृष्ण हूँ यह अहम् नहीं है जैसे श्रीकृष्ण ने गीता में कहा - 'मेरे पास आओ। मैं समग्र हूँ, मैं पूर्ण हूँ। सर्वव्यापी चेतना का स्वरूप हूँ परम चेतना का प्रवक्ता हूँ प्रणाम मीना ऊँ

ज्ञान के गढ़

4 वेद - ऋगवेद, सामवेद, अथर्ववेद और यजुर्वेद 6 वेदांग - - शिक्षा विद्या- व्याकरण - छन्द- निरुक्त- कल्प - ज्योतिष 4 मीमांसा- न्याय, पूर्ण, धर्म, शास्त्र 4 अर्थशास्त्र- धनुर्वेद, गंधर्ववेद, आयुर्वेद अंतिम चार का सम्बन्ध धर्म से नहीं है पर ये ज्ञान के गढ़ होने के योग्य हैं। विज्ञान और ज्ञान यह दर्शाते हैं, कैसे एक अनंत अपार ऊर्जा स्रोत असंख्य तथा भिन्न पदार्थों में रूपांतरित हो एक ब्रह्माण्ड निर्मित करता है जो सबकी उत्पत्ति का स्रोत है। श्रुति एवं स्मृति धर्म की पुस्तकें स्मृति हैं वेद श्रुति है !! प्रणाम मीना ऊँ

स्व ज्ञान

तुम जो हो अपने को वही जानो तुम जो कहो वही सत्य हो, जिया भोगा सोचा तुम जो करो वह सत्यम् शिवम् सुंदरम् हो तुम जो हो वही तुम्हारा सत्य है तुम जैसे हो वही तुम्हारा सत्य है अच्छा-बुरा, झूठा-सच्चा दिमाग की सोच है सबसे बड़ी बात अपने को समझना न कि इस चक्कर में पड़ना कि तुम अच्छे हो या बुरे झूठ हो या सच !! झूठ को नकारना झूठ है झूठ को स्वीकारना सच है तो झूठ भी तो सच ही है यही सत्य है !! प्रणाम मीना ऊँ