अर्जित ज्ञान की सच्चाई
हे मानव ! ज्ञान का महत्व व सच्चाई जानकर अपने ऊपर काम करके ही सत्य को जाना जा सकता है। आज तक का जितना भी ज्ञान ध्यान धरती पर अवतरित हुआ है वो जाना जा चुका है। जो कि थोड़ा-थोड़ा प्रत्येक मानव ने अपनी-अपनी व्यक्तिगत क्षमताओं व उत्थान के हिसाब से प्राप्त कर लिया या चुन लिया और उसी को अपनी बुद्धि में कैद कर उसी का चिन्तन मनन कर उसे ही सब कुछ और सही जानकर उसी को बखानना व उसी की वकालत करना शुरू कर दिया। उसी को मनवाने में सारी ऊर्जा लगा दी और जितनी बड़ी संख्या में लोग उससे प्रभावित हुए उसी को अपनी सफलता मान लिया। जिसके पास जो भी ज्ञान है उसी के अनुसार विशेष रूप वेशभूषा या छवि अपनाकर अपने-अपने सम्प्रदाय बना लिए और उन्हें भी विशेष नाम दे दिए। कोई सूफी कोई गुरु कोई आचार्य वेदान्ती द्वैतवादी अद्वैतवादी नास्तिक आस्तिक आदि-आदि और…