विश्व अनन्तरूपम
शरीर यहाँ धरती पर छोड़ वही सम्पूर्ण सृष्टि में विचरण कर सकता है जिसने इस शरीर-मन-बुद्धि के सभी सम्पूर्ण गुणों को पुराने कपड़ों की तरह उतार फेंका हो।शरीर भाव से एकदम निर्लिप्त, विहीन सभी संवेदनाओं, भावनाओं से परे ही परे हो गया हो वो ही परे जा सकता है। शव होकर तो सभी परे जा पाते हैं पर अंतर ये है कि परे जाकर फिर इस शरीर में लौट नहीं पाते। पर सत्य समाधिस्थ मानव यह शरीर यहाँ धरा पर रख सम्पूर्ण सृष्टि, ब्रह्माण्ड व लोकों में विचरण कर फिर इसी शरीर में लौट आता है। शरीर छोड़कर विचरण की विद्या तो कई सिद्ध कर लेते हैं और खूब प्रयोग भी करते हैं। उस अनन्त ब्रह्माण्ड की उड़ान, The Flight of endless Universe, किस किस विस्तार में और कहाँ तक होगी या हो पाएगी, यह इस पर निर्भर है कि जब आत्मा इस शरीर में थी तो मानव का कितना…