मानव होने का गौरव
हे मानव! अपने मानव होने की महत्ता जान, यदि मानव होने के आनन्द की अनुभूति इसी जीवन में एक बार भी न कर पाया तो मानव जन्म व्यर्थ ही गंवाया, जानवर की तरह चुक गया। मानव को प्रकृति ने तीन गुण अपने से अधिक दिए हैं क्योंकि प्रकृति किसी के लिए रुकती नहीं। मानव रुक सकता है इसीलिए मानव को बुद्धि दी ताकि इन तीनों गुणों को विकसित कर चारों ओर मधुरता बिखेरे। पहला है कंसीडरेशन-दूसरों का पक्ष समझना तथा सामने वाले की बात सुनना तथा समझना। दूसरा -भावमयी करुणा-दया-कंपैशन है और तीसरा है-दूसरों की भलाई व अच्छाई के लिए चिंतन-मनन करना, चैतन्य रहना-कंसर्न। इसके लिए पहले अपने चारों ओर रहने वालों के लिए संवेदनशील होना पड़ता है। उनके प्रति अपना दायित्व व कर्त्तव्य निभाकर फिर दायरा बड़ा कर समाज, देश व विश्व के प्रति अपना दायित्व समझकर कर्म करना है। मानव होने का अर्थ है मानव धर्म निबाहना तभी…