मेरा पूर्ण अस्तित्व मानव के उत्तरोत्तर विकास और भारत के भविष्य को सुदृढ़ करने हेतु कर्मरत है। भारत के गौरव के पुर्नस्थापन के लिए सही पृष्ठभूमि तैयार करने की सतत् साधना का ही परिणाम है प्रणाम अभियान।
मेरा सब कुछ लिखना, स्वाध्याय, ध्यान, प्रणाम योग कक्षाएँ लेना, लोगों से सम्पर्क करना, हीलिंग-वेदना हरण स्पर्श देना व सिखाना, परामर्श करना, भारतीय सनातन सत्यधर्मिता से सब को अवगत करना। सभी प्रकार के माध्यमों से भारतीय व अन्य सभी मानवों को जागृत करने का निरंतर उद्यम करना। मानव की असीमित दिव्य शक्तियों को पूर्णतया प्रस्फुटित करना- श्रीकृष्ण के गीतोपदेश के आधार पर।
इसी कर्मयोग की धारा को प्रणाम रूप में निरंतर गतिमान रखना ही मेरा धर्म-कर्म है। यही आने वाले कल की सुप्रभात की तैयारी है। पूरा है विश्वास- आयेगा ही वह स्वर्णिम समय, वो प्रकाशित पल जो स्वामी विवेकानंद और महर्षि अरविंद के सपनों को साकार करेगा।
भारत के सभी उन्नत मानवों, युगदृष्टा मनीषियों, वैज्ञानिक ऋषियों-मुनियों और वेद-विज्ञानयुक्त अवतारों की श्रृंखला से संयुक्त होकर कैसे अपना कर्म सुनिश्चित कर, उसी हेतु पूर्ण समर्पित भाव से कर्मरत होकर, अपना जीवन सार्थक करना है। यही मानव जीवन का उद्देश्य है।
सत्य ही ईश्वर है
जय सत्येश्वर !!
सत्यमेव जयते- प्रेम सदा सफल है, कर्म ही धर्म है, प्रकाश मुक्तिदायक है
- प्रणाम मीना ऊँ