संसार बहुत सुंदर है आओ इसे और सुंदर बनाएं

संसार बहुत सुंदर है आओ इसे और सुंदर बनाएं

प्रणाम सभी शास्त्रों व वेदों के सार-गीता को जीना सिखाता है ताकि सब गीता का सही संदेश व अर्थ वैसा ही समझ सकें जैसा जगद्गुरु योगेश्वर श्रीकृष्ण ने बताया।
जो मार्गदर्शन हमें महापुरुषों युगदृष्टाओं व महात्माओं ने दिया उस पर कैसे चला जाए कैसे समझा जाए और कैसे जीवन में उतारा जाए बिना संसार को छोड़े नकारे और विरक्त
वह मार्ग…
जो सत्य है सुगम है
आनन्ददायी है
आज तक जितने भी धर्म हुए वो सब व्यक्ति विशेष या पंथ विशेष पर आधारित रहे हैं। मगर प्रणाम इन सबके लक्ष्यों पर आधारित है कि वो क्या प्राप्त करना चाहते थे। प्रणाम का धर्म मानवता है जो प्रकृति के नियमों की सत्यता पर आधारित है।
मानव जीवन का लक्ष्य क्या है कैसे मानव अपने अन्दर छुपी दिव्य शक्तियों को उजागर कर विश्व में सत्य प्रेम व प्रकाश का प्रसार कर सकता है इसी का मार्गदर्शन प्रणाम में उदाहरण बनकर मिलता है।
प्रणाम का कर्म : वेदभूमि भारत की गौरवमयी संस्कृति के सौन्दर्य की पुन: स्थापना करना। उसका मानव के शरीर मन व आत्मा के उत्थान में क्या महत्व है इसका सत्य बताकर स्वयं ही उत्थान के मार्ग पर अग्रसर होने की प्रेरणा देना। मानव के पूर्ण विकास का दिशा निर्देश देना।
मानव संरचना व सम्पूर्ण सृष्टि की कार्यप्रणाली का ज्ञान विज्ञान बताकर अज्ञान का अंधकार काटकर, सभी संशयों का भेदन कर अन्तर में विद्यमान सच्चिदानन्द स्वरूप का अनुभव कराना। सबमें व्याप्त आत्मानुभूति की क्षमता को जागृत कर संसार को ही सत्यम् शिवम् सुन्दरम् और वसुधैव कुटुम्बकम बनाना है।
प्रणाम मीना ऊँ

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