मानव ही मानव का सबसे बड़ा साथी भी दुश्मन भी
देव भी असुर भी
शिवजी के गण
प्रतीकात्मकता
शिव- पुरुष के चारों ओर रहने वाले गण मानस
मानव ही भिन्न रूपों में
देवता पुरुष भी
राक्षस जैसे वीभत्स रूप भी
गले में मुंडमाला
राख सींग दांत सब भयानक
सब प्रतीक मानव के
हृदय की कलुषता
भयावह उद्वेगों के प्रतीक!!
असुर और देव
गुण अवगुण और सभी विपरीत
सृष्टि के आरम्भ से थे सदा हैं और रहेंगे
धर्म है इनका संतुलन
इनका संतुलित उपयोग
दिव्यता-दैवीय गुण
असुरता-आसुरी दुर्गुण
गुण में भी अपूर्णता देख
दुर्गुण में भी पूर्णता देख समझ लेना ही ज्ञान है
दोनों ही शक्तियाँ हैं
ब्रह्माण्ड विपरीत शक्तियों का पुंज है
मानव छोटा सा ब्रह्माण्ड ही है
संतुलन कर
ब्रह्माण्ड की तरह लयात्मकता
लयात्मकता ला रे मानव !
यही सत्य है !!
- प्रणाम मीना ऊँ