- पूर्ण शारीरिक मानसिक स्वास्थ्य तथा आत्मा का विकास।
- पूर्ण उन्नत अवस्था के लिए प्राचीन तथा नवीन प्रणालियों का समन्वय।
- यह जानना कि रोग आंतरिक असंतुलन की बाह्य अभिव्यक्ति है।
- पूर्ण स्वास्थ्य तथा पूर्ण आत्मज्ञान के उच्च शिखर तक पहुँचने के लिए प्राकृतिक विधि से व्यक्ति का पूर्ण उपचार व अज्ञान का अंधकार भेदन।
- सत्य परम संतुलन है। सत्य दु:ख तपस्या है। असत्य ही असंतुलन है।
- मानव विकास के योग का ज्ञान।
- आत्मानुभूति और ज्ञान भक्ति एवं कर्म का विस्तार।
- प्रणाम मीना ऊँ