युद्ध वार और अवतार

युद्ध नकारात्मकता और विनाश है
पर पूर्णता की ओर छंटनी की प्रक्रिया है
अवतार सत्य सनातन धर्म और मानव जीवन के सही आचरण का रक्षक है

सत्य धर्म
प्रथम मानव अवतार श्रीराम (सूर्यवंशी) ने पाप पर पुण्य की विजय बताने के लिए स्वयं युद्ध लड़ा – ‘और फिर भी…’ संदेश दिया… केवल आध्यात्मिक रूप से सद्गुणी होने से… पाप को हराया जा सकता है। दूसरे मानव अवतार श्रीकृष्ण ने युद्ध में सक्रिय भाग नहीं लिया, लेकिन अर्जुन को सिखाया। गीता के ज्ञान के द्वारा कैसे सही कर्म के लिए सही अर्थों में लड़ना है

सही समय पर सही आचरण
तीसरे मानव अवतार बुद्ध ने अहिंसा का रास्ता दिखाया, सम्राट अशोक को सिखाया, आपदा और युद्ध के विनाश के बाद पश्चाताप करने से कोई लाभ नहीं है। इसलिए युद्ध त्याग कर प्रेम अपना। अहिंसा त्याग प्यार प्रेम का मार्ग अपना। दुर्बलों पर जीत के लिए शक्ति का उपयोग न कर। अपने राज्य सीमा के विस्तार की इच्छा और वासना से मुक्त हो। सांसारिक इच्छाओं को त्यागों।

अब चौथा मानव अवतार बताएगा कि कोई युद्ध नहीं होगा।
मानव से मानव का श्रेष्ठतम मानवीय आचरण।

प्यार और प्यार, प्यार… राम के जैसा है…
अवधारणा की तरह रैम … प्यार + करुणा
सदाचरण राम की भांति, करुणा व प्रेम
प्यार और कर्म कृष्ण जैसा- प्रेम अनासक्ति व आनन्द

प्रेम और त्याग बुद्ध जैसा- प्रेम व अहिंसा, सभी पैगंबर और संत मीरा से कबीर… मसीह मोहम्मद से… नानक तक… सत्य सांई बाबा और भी कई महान आत्माओं ने प्रेम और शांति का संदेश दिया…

सच … हम सब एक ही स्रोत से हैं, यही परम सत्य है यही बताया… कलियुग में पिछले सभी चार संदेशों को मूर्त रूप देना है और इसी पर ध्यान दिया जाना चाहिए क्योंकि पिछले युगों का निष्कर्ष कलियुग है और सत्य प्रेम कर्म व प्रकाश के स्थापन का युग है।
ट्रूथ * प्यार * कर्म और प्रकाश…पूर्व ङ्घत्रस् के बाहरसबमें एक नूर समाया…एक नूर से सब उपजे… कौन भले कौन बंदे…

  • प्रणाम मीना ऊँ

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