युगचेतना का तत्व आत्मगीत

मैं युगचेतना हूँ
गीता हूँ सुगीता हूँ
वेद हूँ विज्ञान हूँ
विधि का विधान हूँ
जैसा प्रकृति ने चाहा वही इंसान हूँ
मानसपुत्री प्रकृति की
सर्वोत्कृष्ट कृति धरती की
सर्वोत्कृष्ट कृति प्रकृति की
संभवामि युगे-युगे हूँ
पूर्ण हूँ
पराशक्ति वही तो हूँ,
कर्मयोगी हूँ धर्मयोगी हूँ
सत्ययोगी हूँ
यही सत्य है यहीं सत्य है
उगा सूर्य सत्य का
सतरंगी रास पकड़
ले सत की अनमोल धरोहर
सात घोड़ों के रथ पर सवार
करने को जगतोद्धार
जीवन नहीं व्यापार, जीवन नहीं व्यापार
उञ्चास मरुतों का साथ
अन्तर ज्ञान-विज्ञान संगीत अपार
लय-ताल का अद्भुत संगम
तब जीवन क्यों हो दुर्गम?
यही बताने आए कृष्ण बार-बार
ले परा शक्ति अपार इस बार
सीखो जगत् व्यवहार
धर्म है अपूर्णता को नकार
कर्म है पूर्णता को कर अंगीकार
वाह वाह भारत की
भारत ने सदा दिया है
युग पुरुष का युग पौरुषी का
शिवशक्ति का
सत्यम् शिवम् सुन्दरम् का
अद्भुत संगम
फिर एक बार पूर्ण अवतार
यही सत्य है !!
यहीं सत्य है
!!

  • प्रणाम मीना ऊँ

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